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Aditya Pancholi Parking Row Case: एक्टर आदित्य पंचोली को पार्किंग विवाद मामले में बड़ी राहत, कोर्ट ने घटाई सजा

2016 में अंधेरी की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने आदित्य पंचोली को 2005 में पार्किंग विवाद को लेकर एक व्यक्ति पर हमला करने का दोषी पाया था और उन्हें एक साल की कैद की सजा सुनाई थी. हालांकि अब एक्टर को कोर्ट की तरफ से राहत मिली है.

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Edited By: Antima Pal
Aditya Pancholi Parking Row Case
Courtesy: social media
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Aditya Pancholi Parking Row Case: 2016 में अंधेरी की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने आदित्य पंचोली को 2005 में पार्किंग विवाद को लेकर एक व्यक्ति पर हमला करने का दोषी पाया था और उन्हें एक साल की कैद की सजा सुनाई थी. हालांकि अब एक्टर को कोर्ट की तरफ से राहत मिली है. मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उन्हें दी गई एक साल की जेल की सजा कम कर दी गई और उन्हें अच्छे व्यवहार के बांड पर रिहा कर दिया गया है.

 एक्टर आदित्य पंचोली को पार्किंग विवाद मामले में बड़ी राहत

मुंबई की एक सत्र अदालत ने अभिनेता आदित्य पंचोली की सजा को बरकरार रखा, जिन्हें 2005 में पार्किंग विवाद पर एक व्यक्ति पर हमला करने का दोषी पाया गया था, मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उन्हें दी गई एक साल की जेल की सजा कम कर दी गई और उन्हें अच्छे व्यवहार के बांड पर रिहा कर दिया गया. अदालत के समक्ष दी गई दलीलों के अनुसार, 21 अगस्त 2005 को पंचोली ने अंधेरी में पार्किंग की जगह को लेकर प्रतीक पशीने नाम के एक व्यक्ति पर हमला किया था. 

कोर्ट ने घटाई सजा

वर्सोवा पुलिस ने पंचोली के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उस व्यक्ति की नाक पर हमला किया था, जिससे उसकी नाक टूट गई थी. 2016 में, अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत ने पंचोली को भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत दोषी पाया. इसके बाद पंचोली को एक साल की कैद की सजा सुनाई गई और पीड़िता को 20,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया.

इसके बाद पंचोली ने डिंडोशी सत्र अदालत में आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी. उन्होंने दावा किया था कि पीड़ित और उनकी पत्नी के बयानों में कई विसंगतियां थीं और उन्हें झूठा फंसाया गया था. उन्होंने दावा किया था कि बिल्डिंग के चौकीदार या अन्य सदस्यों की जांच नहीं की गई. सेशन कोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि गवाहों के बयान और मेडिकल सर्टिफिकेट मामले को साबित करने के लिए काफी हैं.

'सजा को संशोधित किया जाना चाहिए'

अदालत ने कहा कि “पार्किंग को लेकर हुए विवाद में अचानक यह हरकत हुई. विद्वान ट्रायल कोर्ट ने इन पहलुओं पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया. आरोपी के साथ क्रूर व्यवहार नहीं किया जाता. लंबित मुकदमे के दौरान, अभियुक्त का किसी भी अपराध से जुड़ा कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. इसलिए दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए, मुझे लगता है कि दी गई सजा को संशोधित किया जाना चाहिए.” अधिनियम के तहत, किसी आरोपी को जेल की सजा के बजाय एक साल के लिए अच्छे आचरण के बांड पर रिहा किया जा सकता है.

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