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गठबंधन सरकार चलाने में कितनी सक्षम है बीजेपी, क्या कहता है पुराना ट्रैक रिकॉर्ड?

भारतीय जनता पार्टी, जब-जब गठबंधन के साथियों के भरोसे रही है, धोखा मिला है. गठबंधन भरोसे बीजेपी की सरकारें, अल्पावधि वाली रही हैं. इस बार बीजेपी अपने दम पर बहुमत से बहुत दूर है, आइए नए 'संकट' के बीच जान लेते हैं क्या कहता है ट्रैक रिकॉर्ड.

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Edited By: India Daily Live
Lok Sabha Elections 2024
Courtesy: Creative Image

लोकसभा चुनाव 2024. भारतीय जनता पार्टी ने 38 पार्टियों के साथ गठबंधन किया. नतीजे ठीक नहीं रहे. जिस नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत और मजबूत सरकार के तौर पर देश आज जानता है, उसकी चूलें हिल गई हैं. बीजेपी अपने दम पर बहुमत से बहुत दूर है. अगर गठबंधन में एक भी साथी ने हाथ पीछे खींचा तो बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी. 

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की सरकार बनी. साल 2019 में भी. बीजेपी ने अपने गठबंधन के साथियों को धोखा नहीं दिया. चुनावों में प्रचंड लहर के बाद भी कभी बीजेपी ने अपना दल और सुहलदेव भारतीय समाज पार्टियों के साथ समझौता किया लेकिन बीजेपी का गठबंधन अतीत बहुत अच्छा नहीं रहा है. 

साल 1977 में जब पहली बार जनता पार्टी सरकार में आई, तब कुल 13 दलों ने समर्थन किया था. प्रधानमंत्री बने मोरारजी देसाई. तब देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. बीजेपी भी सहयोगी रही. उनकी सरकार, खुद ही अल्पमत में आई और सरकार चली गई. यह सरकार अविश्वास प्रस्ताव की वजह से गिरी थी. 

इन आंकड़ों से समझिए बीजेपी और गठबंधन का खेल

साल 1989 में जनता दल और कई क्षेत्रीय दोलों के सहयोग से राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी. जनता दल, बड़ी पार्टी थी. नेता के तौर पर बनकर आए वीपी सिंह. उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया. बीजेपी और लेफ्ट पहली बार किसी मुद्दे पर साथ नजर आए. वीपी सिंह ने जब 1987 में रक्षा मंत्री के पद से हटाए गए तो उन्होंने जन मोर्चा बना लिया. वे राजीव गांधी सरकार पर हमलावर थे. 

वीपी सिंह ने जन मोर्चा, लोकदल, जनता पार्टी और कांग्रेस (सेक्युलर) को मिलाकर एक राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया. 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार तो बन गई लेकिन बीजेपी ने एक मुद्दे पर समर्थन खींच लिया. मुद्दा था मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू करना. बीजेपी ने पहली बार मजबूती दिखाई थी 85 सीटों पर दबदबा कायम किया था. कांग्रेस 197 सीटों पर थी, जनता दल 143 और लेफ्ट 45 पर थे.

गठबंधन में कैसे सरकार चलाती है BJP? खुद तय कर लीजिए

- साल 1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस, कोई स्पष्ट बहुमत तक नहीं पहुंच सका. अटल बिहारी जोड़ तोड़ से सरकार तो बना ले गए लेकिन खेल हो गया. 13वें ही दिन सरकार गिर गई. 13 पार्टियां एक साथ आईं और संयुक्त मोर्चा का गठन कर लिया. यहां बीजेपी के हाथ में सत्ता आते ही चली गई.

- 1998 में लोकसभा चुनावों से ठीक पहले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस बना. गठबंधन में कुल 13 दल शामिल हुए थे. चुनाव के बाद एनडीए की ही सरकार बनी और अटल बिहारी प्रधानमंत्री बने. AIDMK ने अपना समर्थन वापस लिया तो उनकी सरकार चली गई. 1998 में जब वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो 13 महीने बाद उनके सामने संकट आ गया. 

- 17 अप्रैल 1999 को लोकसभा में जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई तो अटल बिहारी महज 269 वोट मिले थे. विपक्ष में 270 तक. एक वोट से उनकी सरकार गिर गई थी. जयललिता ने उनके पीछे से हाथ हटा लिया था और सरकार गिर गई थी. 

- अटल बिहारी का तीसरा कार्यकाल 1999 से 2002 तक के बीच रहा. बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत थी. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 303 सीटे थीं. अटल बिहारी ने गठबंधन सरकार ठीक चलाई थी लेकिन दो बार उनके पास बुरे अनुभव थे. 2004 में उन्हें बहुमत नहीं मिला. 2005 में उन्होंने संन्यास ले लिया.

अब जब बीजेपी खुद स्पष्ट बहुमत से दूर है, उसकी निर्भरता सहसोगी दलों पर बढ़ गई है. देखने वाली बात ये होती है कि तीसरे टर्म में नरेंद्र मोदी गठबंधन को कितना आगे ले जा पाते हैं, जब उनके सहयोगी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे हैं.