Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 अपने आखिरी पड़ाव यानी 7वें चरण की ओर बढ़ रहा है. इसमें सियासी रूप से सबसे ज्यादा महत्व रखने वाले राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर वोट पड़ने हैं. इसी कारण अब सभी दल के नेता अपना पूरा दम लगा रहे हैं. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में 3 रैलियां की. इसमें से एक मिर्जापुर की सभा शामिल थी. जहां उन्होंने अपने संबोधन में कप प्लेट धोने और चाय की बात कही. आइये जानें प्रधानमंत्री ने मिर्जापुर में ही ये बयान क्यों दिया.
चुनाव में नेताओं के बयान आमतौर पर पहले से हुई रिसर्च के अनुसार बनाए किए जाते हैं. खासतौर से जब उनका कद बड़ा हो. तब उनके एक-एक शब्द के पीछे कई कारण होते हैं. बहुत कम ही होता है कि बड़े नेताओं के भाषण मौके पर बदले जाएं. इसके लिए एक अच्छी खासी टीम लगी होती है. ऐसा ही PM मोदी के भाषण के लिए भी होता है.
मिर्जापुर में प्रधानमंत्री ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि मैं बचपन में कप और प्लेट धोते हुए बड़ा हुआ हूं. चाय परोसते हुए बचपन बीता है. मोदी और चाय का रिश्ता बड़ा तगड़ा है. जब-जब विजय का सूरज उगता है तो उसी समय के कप-प्लेट की याद आती है और मेरा मन चाय की चुस्की लेने का करता है.
प्रधानमंत्री ने मिर्जापुर में कप-प्लेट और कमल की बात की है. इसके पीछे बड़ी इलेक्शन स्ट्रेटजी है. मिर्जापुर में NDA की संयुक्त प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं. अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनेलाल) की प्रमुख हैं और इस दल का चुनाव निशान कप-प्लेट है. ऐसे में कहा जा रहा है कि जनता PM मोदी को सुनकर कहीं मतदान में कमल का बटन ना खोजे. इस कारण उन्होंने कप-प्लेट पर जोर दिया और NDA गठबंधन की अनुप्रिया पटेल के लिए वोट अपील की.
PM मोदी की रैली में NDA प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल भी पहुंची. उन्होंने सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर विकसित होगा. यहां मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ ही मुख्यमंत्री ने विंध्य विश्वविद्यालय की सौगात दी है. मिर्जापुर में केंद्र की सारी सुविधाएं मिल रही हैं. जिले को ऊंचाइयों में जानें के लिए कप प्लेट का ध्यान रखें.
चुनाव में कई पार्टियां एक साथ आकर चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन बनाती है. ऐसे में एक दूसरे दल के नेता अपने सहयोगी के लिए प्रचार करते हैं. बड़े फेस जैसे मोदीजी के प्रचार करने पहुंचते हैं तो लोगों के जेहन में BJP और कमल ही आता है. ऐसे में नेताओं को अपने सहयोगी दलों के नेता का नाम और चुनाव चिन्ह का जिक्र करना होता है.