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बेटे का टिकट कटने पर भी साइलेंट क्यों है मेनका गांधी? वरुण गांधी के भविष्य की चिंता या अस्थायी चुप्पी?

Maneka Gandhi On Varun Gandhi: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने इस बार ज्यादातर पुराने सांसदों पर भरोसा जताया है, हालांकि पीलीभीत से मौजूदा सांसद वरुण गांधी को चुनावी मैदान में उतरने का मौका नहीं दिया गया है. वहीं सुल्तानपुर से उनकी मां मेनका गांधी को बीजेपी ने एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में लोग लगातार मेनका गांधी की चुप्पी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं.

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Edited By: India Daily Live
Maneka Gandhi Varun Gandhi

Maneka Gandhi On Varun Gandhi: उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अपने हिस्से में आई गठबंधन की लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है. आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर उतरा है और यही वजह है कि जब वो उम्मीदवारों का चयन कर रहे थो तो नामों का चयन काफी सोच-विचार के बाद किया.

इस दौरान जहां बीजेपी ने ज्यादातर सांसदों को दोबारा मैदान में उतारा है तो वहीं पर कुछ सिटिंग एमपी का टिकट काट बाहर का रास्ता भी दिखाया है. इस फेहरिस्त में एक नाम पीलीभीत के मौजूदा सांसद वरुण गांधी का भी है जिनकी जगह पर बीजेपी ने यूपी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को मौका दिया है. राजनीतिक गलियारों में इसे वरुण गांधी के बागी तेवरों को ठंडा करने का तरीका बताया जा रहा है जिसके चलते उन्होंने पिछले कुछ समय में कई तीखे बयान भी दिए थे.

तो इस वजह से कटा वरुण गांधी का टिकट

वरुण गांधी अपनी ही सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करने के लिए मशहूर हैं. माना जा रहा है कि एक समय पर यूपी से सीएम के दावेदार रहे वरुण गांधी को हाईकमान की नाराजगी का सामना करना पड़ा है जिसके चलते अब उन्हें अपनी सांसदी से भी हाथ धोना पड़ा है. वहीं दूसरी ओर सुल्तानपुर से मौजूदा सांसद और वरुण की मां मेनका गांधी को बीजेपी ने फिर से मौका दिया है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि मेनका गांधी की ये चुप्पी किस वजह से है?

बेटे को लेकर पूछा गया सवाल तो जानें क्या बोली मेनका गांधी

मेनका गांधी फिलहाल बीजेपी की ओर से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं, आमतौर पर वो वरुण गांधी को लेकर पूछे जा रहे सवालों को छोड़ती नजर आ रही हैं, हालांकि पिछले सोमवार (1 अप्रैल) को जब मेनका गांधी अपने 10 दिवसीय चुनाव प्रचार का आगाज करना था तो उन्होंने वरुण गांधी के मुद्दे पर जो जवाब दिए वो हैरान करने वाले थे.

सुल्तानपुर में चुनाव प्रचार करने पहुंची मेनका गांधी से जब वरुण गांधी के भविष्य को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये बात तो आपको उनसे पूछनी चाहिए कि वो क्या करेंगे, बाकी चुनाव के बाद देखते हैं, अभी लंबा समय बाकी हैं. मैं बीजेपी में रहकर बहुत खुश हूं. इस दौरान जब उनके चुनाव प्रचार से वरुण गांधी के गायब रहने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बेटे-पत्नी को वायरल फीवर से ग्रस्त होने का कारण बताया तो वहीं वरुण की सास को हार्टअटैक आने की बात भी कही. मेनका ने आगे कहा कि आगे के चुनाव प्रचार में भी आपको मैं और पार्टी ही नजर आ सकते हैं.

तो इस वजह से मेनका ने साधी है चुप्पी

मेनका गांधी के जवाब पर भी असंतुष्टि जताई गई और राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो वो कुछ भी कहने से बच रही थी. एक्सपर्ट्स की मानें तो वरुण गांधी को उनके बागी तेवरों की सजा मिली है और इस बात को मेनका भी अच्छे से जानती हैं. यूपी में लगातार सपा-बसपा के गिरते जनाधार को देखते हुए वरुण गांधी दल बदलने से बच रहे हैं तो वहीं पर कांग्रेस में जाना उनके लिए किसी विकल्प का हिस्सा नहीं है. ऐसे में अगर वरुण गांधी फिलहाल अपनी सजा को स्वीकार लेते हैं और फिर से पार्टी में अपनी जगह मजबूत करने पर ध्यान लगाते हैं तो उनकी स्थिति फिर से बदलती हुई नजर आ सकती है.

हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि मेनका गांधी की यह चु्प्पी अस्थाई है और जिस तरह से उन्होंने चुनाव खत्म होने को लेकर बयान दिया है उससे साफ है कि उनके दिमाग में कुछ बड़ा चल रहा है जिसके तहत वो नतीजों के बाद कुछ बड़ा कदम उठा सकती हैं.

पीलीभीत और सुल्तानपुर में कन्फ्यूज थी मेनका गांधी

मेनका गांधी भी शायद इस बात को समझती हैं और यही वजह है कि वो बेटे का टिकट कट जाने के बावजूद लगातार चुप्पी साधे हुई हैं.मेनका गांधी ने सुल्तानपुर की सीट से वापसी करने पर भी जवाब दिया और बताया कि पहले वो पीलीभीत की सीट से लड़ने को लेकर कन्फ्यूज थी.

उन्होंने कहा,'मैं पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी और अमित शाह जी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझ पर भरोसा जताते हुए मुझे टिकट दिया है. मैं कन्फ्यूज थी कि कहां से लड़ना चाहिए, पहले वाली पीलीभीत सीट या फिर यहां सुल्तानपुर से, मैं खुश हूं कि पार्टी ने मुझे सुल्तानपुर वापस लौटने का मौका दिया. मुझे डीबी राय के बाद इतिहास बदलने का मौका मिला है क्योंकि यहां का रिकॉर्ड रहा है कि जो एमपी जाता है वो वापस नहीं आता.'