Lok Sabha Election 2024: चुनाव से पहले अचानक ताकतवर हो जाती है BSP, पैराशूट उम्मीदवारों को पार्टी कैसे देती है टिकट
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. बसपा अलग-अलग राज्यों में अपने कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर पैराशूट उम्मीदवारों को कैसे टिकट देती है यह सवाल उठ रहा है. इसके बारे में जानने के लिए आज हम बीएसपी के टिकट बंटवारे की स्ट्रेटजी को समझेंगे.
Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश समेत देश के अलग-अलग राज्यों में अकेले चुनाव लड़ रही है. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में मायावती और अखिलेश यादव ने गठबंधन किया था. तब बुआ- बबुआ गठबंधन काफी चर्चा में था, लेकिन इस बार पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. अगर बहुजन समाज पार्टी में बड़े चेहरों को देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के अलावा किसी राज्य में कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आता.
उत्तर भारत के राज्यों में यह पार्टी विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनाव लड़ती है. अधिकतर राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में देखने के लिए मिलता है कि पार्टी का कोई उम्मीदवार उस सीट पर होता ही नहीं, लेकिन नामांकन की तारीख नजदीक आते-आते बहुजन समाज पार्टी को एक मजबूत उम्मीदवार मिल जाता है.
चुनाव के पहले कैसे मजबूत हो जाती है बसपा?
हिंदी भाषी राज्यों में लोकसभा या फिर विधानसभा चुनाव के 6 महीने पहले जो बहुजन समाज पार्टी कमजोर और नेतृत्व विहीन दिखती थी वह चुनाव के नजदीक आते ही मजबूत हो जाती है. बसपा को एक ठीक- ठाक जनाधार वाला उम्मीदवार भी चुनाव लड़ने के लिए मिल जाता है. दरअसल बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य दूसरी पार्टियों का टिकट कटने पर चुनाव लड़ने की ईच्छा रखने वाला नेता बसपा में शामिल हो जाता है. साथ ही अपने समर्थकों को बसपा में शामिल करवा लेता है. इसके चलते बसपा चुनाव के समय एकाएक ताकतवर दिखाई देने लगती है.
बसपा में टिकट कैसे मिलती है?
अब सवाल उठता है कि बसपा किस तरह की पार्टी है जो दूसरे दलों को छोड़कर महीने भर या 15 दिन पहले बसपा में शामिल होने वाले नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे देती है. 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में अलग-अलग राज्यों में बसपा के द्वारा दूसरे दलों को छोड़कर आए नेताओं को टिकट देने के मामले को देखने पर पता चलता है कि पार्टी अधिकतर ऐसे नेताओं को उम्मीदवार बनाती है, जिनका पूर्व में बसपा से कोई नाता नहीं था. इसके बाद यह भी देखने के लिए मिलता है कि बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार चुनाव न जीतने पर कुछ ही महीनों में पार्टी छोड़ देता है. अगर बीएसपी नए-नवेले नेताओं को इतना सम्मान देती है और टिकट देकर उनको चुनाव लड़वाती है तो नेता चुनाव के कुछ महीने बाद ही बीएसपी को छोड़कर क्यों चले जाते हैं.
बीएसपी पर लगते रहे हैं पैसे लेकर टिकट देने के आरोप
बहुजन समाज पार्टी पर हमेशा पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगता रहा है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में बसपा के नेताओं ने ही अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और बड़े पदाधिकारियों पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगाए हैं. इसको लेकर मीडिया में अलग-अलग समय में खबरें आती रही हैं. इस बात को मीडिया में प्रकाशित कुछ खबरों को पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है. एक कहावत भी है कि जब आग होती है तभी धुआं उठता है.
जनवरी 2022 : बसपा नेता का आरोप, 67 लाख लेने के बाद भी पार्टी ने नहीं दिया टिकट
यूपी में मुजफ्फरनगर के चरथावल विधानसभा क्षेत्र प्रभारी अरशद राणा ने टिकट नहीं मिलने पर फूट-फूट कर रोते हुए बसपा के बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. राणा का आरोप था कि बसपा के नेताओं ने 67 लाख रुपये हड़पने के बाद भी उसे टिकट न देकर चरथावल विधानसभा सीट से सलमान सईद को प्रत्याशी घोषित कर दिया.
नवंबर 2023: बसपा नेता आरोप, पार्टी ने प्रदेश में पैसे लेकर बांटे टिकट
राजस्थान में बसपा के चित्तौड़गढ़ जिलाध्यक्ष रमेश कुमावत ने पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप लगाया. कहा कि इसकी शिकायत वो बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती से करेंगे.
अगस्त 2019: बसपा विधायक ने मायावती पर लगाया पैसे लेकर टिकट देने का आरोप
राजस्थान के बसपा विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी पार्टी बसपा सुप्रीमो मायावती पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया है. राज्य विधानसभा भवन में विधायकों के सेमिनार में एक सत्र के दौरान राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि कोई उन्हें ज्यादा पैसे दे देता है तो वह उसे टिकट दे देती हैं.
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