Lok Sabha Elections 2024: भारत में इस समय लोकतंत्र के त्योहार यानि के आम चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसकी तैयारी में सत्ता और विपक्ष दोनों लगे हुए हैं. इस बीच केंद्र की भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों को इंटरनेशनल बनाने के लिए नया दांव खेला है और आम चुनावों के दौरान विदेशी पार्टियों को भी न्यौता दे डाला है.
बीजेपी ने विदेशों से करीब 25 राजनीतिक दलों को भारत आने और यहां की चुनावी प्रक्रिया का गवाह बनने का न्यौता दिया है. इसमें भारत के कई पड़ोसी देश भी शामिल हैं. भारत के इस दांव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने और आए दिन देश के लोकतंत्र पर टिप्पणी करने वाले विदेशी मीडिया की बोलती बंद करने के लिहाज से भी देखा जा रहा है.
पड़ोसियों पर प्यार पर चीन-पाकिस्तान को इंकार
बीजेपी ने विदेशी राजनीतिक पार्टियों में जिन्हें भारत आने का बुलावा दिया है उसमें यूके की कंजर्वेटिव और लेबर पार्टी के साथ-साथ जर्मनी के राजनीतिक दल भी शामिल हैं. भारत ने एशिया में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए पड़ोसी देशों को न्यौता दिया है जिसमें बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के राजनीतिक दल शामिल हैं, हालांकि उसने पाकिस्तान और चीन को कोई बुलावा नहीं भेजा है.
ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि भारत ने बांग्लादेश, नेपाल से तो प्यार दिखाया पर पाकिस्तान-चीन को अंगूठा क्यों दिखा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भारत में इस बार करीब 98 करोड़ वोटर्स नई सरकार को चुनने की प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे और मोदी सरकार दुनिया भर में यह साबित करने से चूकना नहीं चाहती कि क्यों यहां का लोकतंत्र सबसे बड़ा और प्रभावी है. हालांकि पड़ोसियों से भेदभाव की बात करें तो कई कारण हैं जिसके चलते भारत ने इन दोनों देशों को आमंत्रित नहीं किया है.
तो इस वजह से पाक-चीन को नहीं बुलाया भारत
एशिया महाद्वीप में चीन इकलौता ऐसा देश है जिसे भारत का राइवल माना जाता है. विकास और तरक्की के मामले में चीन भारत से काफी आगे है लेकिन वहां पर क्मयुनिस्ट पार्टी ऑफ चीन सत्ता पर काबिज है. पिछले कुछ समय में भारत और चीन के बीच न सिर्फ सीमा विवाद बल्कि जासूसी के खतरे को देखते हुए व्यापारिक स्तर पर भी कई प्रतिबंध देखने को मिले हैं. इसके अलावा चीन में नेताओं का चुनाव तो होता है लेकिन सरकार हमेशा कम्युनिस्ट पॉर्टी ऑफ चीन की ही रहती है. वहीं पाकिस्तान में लोकतंत्र का हाल सारी दुनिया देख रही है और सैन्य हस्तक्षेप को देखते हुए वहां के लोकतंत्र से भी विश्वास उठता सा जा रहा है.
एक-तीर से 2 निशाने साध रही है बीजेपी
ऐसे में बीजेपी एक तीर से दो निशाने साध रही है, जहां वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन दोनों देशों को न्यौता न देकर यहां के लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करना चाहती है तो वहीं पर आपसी संबंधों पर किसी भेदभाव के आरोप को लगने से भी बच रही है. बीजेपी ने इस मुद्दे को साधने के लिए जिन 25 दलों को न्यौता भेजा है उसमें से करीब 13 ने भारत आकर इसका गवाह बनने का आमंत्रण स्वीकार भी कर लिया है. बीजेपी के अनुसार ये सभी राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव के तीसरे-चौथे चरण के दौरान भारत आ सकते हैं.