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जब दिल्ली की सड़कों पर दंगाइयों के पीछे लाठी लेकर दौड़ पड़े थे पंडित नेहरू, हैरान कर देगी ये कहानी

Pandit Jawahar Lal Nehru: पंडित जवाहर लाल नेहरू दंगाइयों से बहुत चिढ़ते थे. 1947 में भारत के विभाजन के बाद कई मौकों पर उनका गुस्सा सार्वजनिक तौर पर भी देखा गया.

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Edited By: India Daily Live
Pandit Nehru
Courtesy: Social Media

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को तमाम वजहों से जाना जाता है. कई बार वह बच्चों के 'चाचा नेहरू' कहे जाते हैं तो कभी देश को नई दिशा देने वाले नेता बताए जाते हैं. देश की आजादी के साथ-साथ विभाजन का अभिशाप जब मिला तब देश पंडित नेहरू के ही हाथ में था. विभाजन के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगे होने लगे. इन दंगों की आंच राजधानी दिल्ली की सड़कों तक भी पहुंची. एक वक्त ऐसा भी आया जब दंगाइयों के सामने खुद पंडित नेहरू ही आकर खड़े हो गए. दंगाइयों को भगाने के लिए खुद पंडित नेहरू हाथ में लाठी लेकर उनके सामने आ गए थे.

देश के विभाजन के बाद बने दो देशों- भारत और पाकिस्तान में भयानक मारकाट मच गई थी. सांप्रदायिक आधार पर हो रहे इन दंगों में मासूम लोग मारे-काटे जा रहे थे और हत्या और लूट का नंगा नाच हो रहा था. अचानक पंडित नेहरू को खबर मिली कि दिल्ली के केंद्र में स्थित कनॉट प्लेस (अब राजीव चौक) में मुसलमानों की दुकानों में लूट हो रही है. सूचना मिलते ही खुद पंडित नेहरू कनॉचट प्लेस पहुंच गए.

कनॉट प्लेस में मची थी लूट

वहां पंडित नेहरू ने देखा कि हिंदू और सिखों की भीड़ मुसलमान की दुकानों से चीजें लेकर भाग रही थी. ये दंगाई पुलिस को भी कुछ नहीं समझ करहे थे और दुकान से कॉस्मेटिक्स, कपड़े और हैंडबैग लूट रहे थे. यह देखकर पंडित नेहरू को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने पुलिसवालों के हाथ से लाठी छीन ली और दंगाइयों को दौड़ा लिया.

पंडित नेहरू का दंगाइयों के खिलाफ गुस्सा यहीं पर शांत नहीं हुआ. कई देशों में भारत के राजपूत रह चुके बदरुद्दीन तैयबजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, 'एक रात मैं पंडित नेहरू के घर पहुंचा और उन्हें बताया कि मिंटो ब्रिज के पास मुस्लिमों को घेरकर मारा जा रहा है. पंडित नेहरू अचानक ऊपर गए और जब वह लौटे तो उनके हाथ में एक पुरानी पिस्टल थी. यह पिस्टल उनके पिता मोतीलाल नेहरू की थी.' 

बदरुद्दीन तैयबजी के मुताबिक, पंडित नेहरू की योजना थी कि वह मिंटो ब्रिज के पास जाएंगे और मुस्लिमों की भीड़ में शामिल हो जाएंगे. फिर अगर किसी ने मारपीट की तो उसे गोली मार देंगे. ऐसी कई अन्य घटनाएं भी हैं जिनमें दंगाइयों के खिलाफ पंडित नेहरू का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता था. लॉर्ड माउंटबेटन ने भी कहा था कि इस तरह का आवेश कभी पंडित नेहरू की मौत का कारण भी बन सकता है.