भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां चुनाव को लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व या त्योहार के रूप में देखा जाता है. भारतीय चुनाव आयोग इस कथन को हर चुनाव में दोहराता है. फिलहाल देश में लोकसभा चुनाव 2024 और 18वें आम चुनाव के लिए आचार संहिता लागू है. जाहिर सी बात है कि आप लोगों में से अधिकांश लोग चुनाव में मतदान करेंगे. हालांकि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो वोट नहीं देते इसके पीछे उनकी अपनी वजहें हैं. लेकिन जो लोग वोट देते हैं क्या आपको पता है कि वो मतदाता किसी उम्मीदवार को वोट देने के पहले क्या सोचते हैं?
किस आधार पर मतदाता वोट देते हैं? कुछ बातें आपको जरूर पता हैं, लेकिन आज हम आपको इसके बारे में कम शब्दों में अधिक बातें बताने जा रहे हैं. सबसे पहले जान लें कि आम जनता के मतदान करने की प्रक्रिया को मतदान व्यवहार (voting behavior) कहते हैं.
साधारण शब्दों में कहें तो मतदान व्यवहार का अर्थ मतदाताओं की उस मनःस्थिति से है, जिससे प्रभावित होकर कोई मतदाता मतदान करता है. यानी मतदान व्यवहार इस बात को इंगित करता है कि लोगों ने क्या सोचकर मतदान किया है. मतदान व्यवहार राजनीतिक के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक अवधारणा है. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेलवपिंग सोसाइटीज, नई दिल्ली के निदेशक और प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार और प्रवीण राय ने अपनी किताब 'मेजरिंग वोटिंग विहेवियर इन इंडिया' मतदान करते वक्त मतदाता की मन: स्थिति बाजार में सामान खरीदने जैसी होती है. वोटर सोचता है कि किस उम्मीदवार को वोट दें. अगर अमुक ए व्यक्ति को वोट दिया तो क्या लाभ हैं अगर बी को दिया तो क्या लाभ हैं? इस तरह से मन में द्वंद चलता रहता हैं. इसी बीच मतदाता वोट करता है. वैसे बहुत सारी चीजें हैं, जिनको ध्यान में रखकर या इनमें से किसी न किसी चीज से प्रभावित होकर मतदाता वोट करता है. इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं.
महात्माी गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज डिपार्मेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संदीप वर्मा ने 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट इंजीनियरिंग एंड साइंटिफिक रिसर्च' में प्रकाशित एक शोध के हवाले से बताया कि भारत विविधताओं से भरा देश है, यहां कई धर्मों, जातियों, भाषाओं और वर्णों को मानने वाले लोग रहते हैं. ऐसे में ये सभी चीजें ध्रुवीकरण का आधार बनती हैं. वहीं मतदाता भी कई चीजों को देखकर मतदान करता है. मतदान को प्रभावित करने वाले कुछ बड़े कारक इस प्रकार हैं.
जाति : भारत की सामाजिक संरचना जाति व्यवस्था से अत्यधिक प्रभावित है. इसीलिए भारतीय निर्वाचन प्रणाली में इसका अच्छा खासा प्रभाव होता है. राजनीतिक दल जाति के आधार पर वोट हासिल करने का प्रयास करते हैं. हर राज्य में मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को मतदान करने में ज्यादा उत्साहित होते हैं. हालांकि यह बात सभी जगह लागू नहीं होती.
धर्म : कई राजनीतिक दल और राजनेता चुनाव में लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काते हैं और वोटों का ध्रुवीकरण करते हैं. ऐसे में बहुस सारे मतदाता उम्मीदवार के धर्म को देखकर वोट करते हैं. इसके परिणाम स्वरूप चुनावी नतीजे भी प्रभावित होते हैं. हमारे देश में धर्म की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों को देख सकते हैं, जिसमें एआईएमआईएम, अकाली दल, शिव सेना, केरल समेत कई राज्यों में धर्म की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल मौजूद हैं. आजकल राम मंदिर धर्म की राजनीति का केंद्र बना हुआ है.
भाषा : उत्तर भारत और दक्षिण भारत की राजनीति में भाषा मुख्य चुनावी मुद्दा रहा है. खासकर तमिलनाडु की राजनीति में हिंदी भाषी और गैर हिंदी भाषा का मुद्दा अत्यंत प्रभावी रहता है. भाषा भी लोगों के मतदान व्यवहार को निर्धारित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है.
क्षेत्रवाद : उत्तर भारत, दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर की राजनीति में क्षेत्रवाद का मुद्दा बहुत अधिक प्रभावी होता है. विभिन्न चुनावों के दौरान राजनेताओं पर दूसरे स्थान या क्षेत्र या राज्य का होने का आरोप लगता है. मतदाता अपने क्षेत्र के नेता को वोट करना ज्यादा पसंद करते हैं.
राजनीतिक दल से जुड़ाव : भारत में कई तरह की विचारधाराओें का प्रभाव है और इनको मामने वाले लोग हैं. इनमें दक्षिणपंथ, वामपंथ, समाजवादी विचारधारा, बहुजन विचारधारा के दल हैं. इस तरह से देश में कई तरह की विचारधारा वाले दल हैं. इन दलों की विचारधारा को मानने वाले लोगों का अपना कोर वोट बैंक हैं. जो अपनी विचारधारा वाले दलो को ही वोट करते हैं.
धन की भूमिका : चुनावों में राजनीतिक दल धन बल का पर्याप्त इस्तेमाल करते हैं. यह बात अलग है कि निर्वाचन आयोग इस पर सख्ती से नजर रखता है. कई उम्मीदवार और राजनीतिक दल मतदाताओं को शराब, कंबल, साड़ी, जैसे प्रलोभन लेकर वोट अपने पक्ष में हासिल करने का प्रयास करते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर मतदाता इससे प्रभावित होकर मतदान भी करते हैं.
शिक्षा : शिक्षा का स्तर भी मतदाताओं के मतदान व्यवहार को प्रभावित करता है. सामान्यतः अशिक्षित लोग अपने हितों की परवाह किए बिना राजनेताओं या राजनीतिक दलों के भड़काऊ बयानों के शिकार होकर मतदान करते हैं, लेकिन इसके विपरीत, शिक्षित लोग अपने हितों के मद्देनजर मतदान करते हैं.
राजनेता की छवि या लोकप्रियता : इन दिनों आपको यह सुनने के लिए मिलता है कि देश में मोदी लहर है. कभी देश में नेहरू और कभी इंदिरा लहर भी हुआ करती थी. यह पार्टी के शीर्ष नेता की लोकप्रियता है, जिससे प्रभावित होकर आम मतदाता किसी पार्टी विशेष को वोट देता है, वह उम्मीदवार को नहीं देखता.
डॉ संदीप वर्मा का कहना है कि हमारे द्वारा बताए गए मतदान व्यवहार के इन कारकों के अलावा भी कई ऐसे कारक हैं, जो मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं, जैसे चुनाव से पहले देश में होने वाली तत्कालिक घटनाएं, राजनीतिक दलों के प्रचार करने का तरीका. राजनीतिक दलों को घोषणा पत्र आदि.