'ऊंचे पद पर जाओगे लेकिन टिकोगे नहीं', एक ऐसा नेता जिसके 'बुरे' की भविष्यवाणी सच साबित हुई
V P Singh: देश के प्रधानमंत्री रहे वी पी सिंह एक ऐसे नेता थे जो खुद ज्योतिषियों की बातों पर यकीन नहीं करते थे लेकिन उनके बारे में ज्योतिषी की एक बात एकदम सटीक साबित हुई.
भारत की राजनीति ने कई तरह के रंग देखे हैं. आजादी के बाद के सात-आठ दशकों में कई तरह के नेता हुए, उनके साथ तरह-तरह की घटनाएं हुईं. कोई अचानक रात में उठकर प्रधानमंत्री बन गया तो कोई प्रधानमंत्री बनने के बावजूद संसद में विश्वास मत साबित नहीं कर पाया. कई ऐसे भी नेता हुए जो जिंदगी भर जोर लगाते रहे लेकिन प्रधानमंत्री नहीं बन पाए तो एक ऐसा भी नेता हुआ जिसने एक छोटी सी घटना के बाद प्रधानमंत्री का पद छोड़ने में देर नहीं लगाई.
एक ऐसा भी प्रधानमंत्री हुआ जो अपने जीवन में कई बड़ों पदों पर शुमार हुआ. खुद कभी ज्योतिष में यकीन नहीं रखा लेकिन इनके पिता ही ज्योतिषी थी. हम बात कर रहे हैं देश के प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह उर्फ वी पी सिंह की. वी पी सिंह के ज्योतिषी ने ही उनके जीवन की भविष्यवाणी की थी और कहा था, 'तुम अपने जीवन में कई ऊंचे पदों पर पहुंचोगे लेकिन कहीं टिक नहीं पाआगे.' इस बात पर वी पी सिंह को यकीन तब तक नहीं हुआ जब तक यह घटना उनके जीवन में घट नहीं गई.
ज्योतिषियों को गलत बताते थे वी पी सिंह
'राजा ऑफ मांडा' के नाम से मशहूर लवी पी सिंह विधायक से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बने लेकिन PM पद के रूप में उनका कार्यकाल सिर्फ 11 महीने का ही रहा. भविष्यवाणी और ज्योतिष को लेकर वी पी सिंह का कहना था, 'ये लोग जो भी भविष्यवाणी करते हैं, ज्यादातर गलत होती है.' वी पी सिंह का ऐसा कहना तब था जब उनके पिता और बड़े भाई की ज्योतिष में विशेष रुचि थी.
इसके बारे में वी पी सिंह की पत्नी सीता कुमारी सिंह के हवाले से लिखते हैं, 'हमारे पारिवारिक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी करके कहा था कि मेरे पति ऊंचे ओहदों पर पहुंचेंगे लेकिन वहां टिक नहीं पाएंगे. ठीक ऐसा ही हुआ भी.' हालांकि, इसके बावजूद उनका राजनीतिक करियर बहुत तेज चला. सिर्फ 10 साल के अंदर ही वह केंद्र में मंत्री बनने से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय कर चुके थे.
कैसा रहा राजनीतिक सफर?
कांग्रेस में रहकर राजनीति करने वाले वी पी सिंह ने आगे चलकर न सिर्फ कांग्रेस का साथ छोड़ा बल्कि राजीव गांधी से सीधा मुकाबला भी किया. यूपी के सीएम रहे वी पी सिंह ने केंद्र में रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्रालय भी संभाले. डाकुओं के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वी पी सिंह के भाई को डाकुओं ने ही मार डाला जिसके बाद वी पी सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.