Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के बीच सियासी पारा अपने चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है जिसके बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी को बहस की खुली चुनौती देते हुए ओपन चैलेंज दिया है. स्मृति ईरानी ने दोनों को ओपन चैलेंज देते हुए कहा है कि वो किसी भी टीवी चैनल, उनकी पसंद का एंकर, उनकी पसंद का समय, उनकी पसंद की जगह और उनकी मर्जी से किसी भी मुद्दे पर बहस करने के लिए तैयार हैं, बस वो इसके लिए राजी हो जाएं.
ईरानी ने कहा, 'उन दोनों के सवालों का जवाब देने के लिए भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी अकेले ही काफी हैं, दोनों भाई-बहन एक तरफ और बीजेपी के एक प्रवक्ता रूप में सुधांशु जी एक तरफ, बस तभी दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.'
उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,000 वोटों के अंतर से हरा कर अमेठी निर्वाचन क्षेत्र पर गांधी परिवार की लंबे समय से चली आ रही पकड़ को खत्म कर दिया था. कुछ वक्त पहले ही गांधी परिवार ने अपना ध्यान पारंपरिक गढ़ माने जाने वाले अमेठी और रायबरेली पर केंद्रित करते हुए राहुल गांधी को रायबरेली और परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा है.
वहीं पर्दे के पीछे से लेकर फ्रंटलाइन प्रचार तक प्रियंका गांधी वाड्रा इन निर्वाचन क्षेत्रों में लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और मौजूदा समय में पार्टी की चुनावी रणनीति, प्रबंधन और अभियान का नेतृत्व करते हुए सोमवार से रायबरेली में तैनात हैं. 2019 के आम चुनावों में, सोनिया गांधी ने रायबरेली में भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 1.6 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की. हालांकि, 2014 के चुनावों की तुलना में उनकी जीत के अंतर में 13 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में केवल दो सीटें-रायबरेली और अमेठी जीतने में कामयाब रही थी. हालाँकि, 2019 में, अमेठी हारने के बाद पार्टी की सीटें घटकर सिर्फ एक सीट रह गईं. इस बार, राहुल गांधी का लक्ष्य रायबरेली में परिवार की लंबे समय से चली आ रही विरासत को बचाना है, जबकि किशोरी लाल शर्मा को स्मृति ईरानी की ओर से पेश की जा रही कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
इस बार राज्यसभा में जाने से पहले सोनिया गांधी ने लगातार चार बार रायबरेली को सफलतापूर्वक बरकरार रखा था. 2014 और 2019 में ऐतिहासिक हार झेलने के बाद मजबूत वापसी करने के लिए प्रतिबद्ध कांग्रेस पार्टी को अमेठी को फिर से हासिल करने और रायबरेली पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए एक कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है. यह ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस रायबरेली के तहत एक भी विधानसभा सीट सुरक्षित करने में नाकाम रही जो कि इन सीटों पर मुश्किलें बढ़ा रही हैं.