'पवार बनाम पवार', बढ़ गया बारामती का थ्रिलर, ननद-भाभी के बीच अब 'शरद पवार' की हुई एंट्री
बारामती की लड़ाई इस बार बेहद रोमांचक हो चली है शरद पवार ने सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट की लड़ाई इस बार बेहद रोमांचक हो चली है. पवार बनाम पावर की यह लड़ाई अब त्रिकोणीय हो चली है, क्योंकि शरद पवार ने भी बारामती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अब तक बारामती सीट पर लड़ाई सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच मानी जा रही थी लेकिन अब शरद पवार ने भी इस सीट ने नामांकन दाखिल कर दिया है.
लेकिन यहां एक पेच है गुरु. ये पवार एनसीपी (SCP) के प्रमुख शरद पवार नहीं बल्कि उनके हमनाम हैं और एक दिहाड़ी मजदूर हैं. शरद पवार ने बारामती से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
शरद बोले- पवार उनके आदर्श
भारतीय दिहाड़ी मजदूर संघ के सदस्य 36 वर्षीय ऑटोरिक्शा चालक शरद पवार ने बताया कि एनसीपी (एससीपी) चीफ शरद पवार उनके आदर्श और उनकी प्रेरणा हैं. 1988 में जब शरद पवार दोबारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे, उस समय उनके दादा ने उनका नाम शरद पवार रखा था.
चुनाव लड़ने के लिए पैसा जरूरी नहीं
ऑटोरिक्शा चालक शरद पवार मानते हैं कि आज सोशल मीडिया प्रचार का एक मजबूत माध्यम बन गया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए पैसे की जरूरत नहीं है क्योंकि दिहाड़ी मजदूरों को लोगों से जमकर समर्थन मिल रहा है.
ये दिहाड़ी मजदूर भी चुनाव में कूदे
पवार ने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा जिस कारण उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है. शरद पवार के अलावा टेम्पो ड्राइवर मनोज वेताल पुणे से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, कैब चालक संतोष वाल्गुड़े मावल से और फूड डिलीवरी एक्जिक्यूटिव स्वप्निल लौंडे शिरूर से चुनाव लड़ रहे हैं.