Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मैदान तैयार हो चुका है. नेता चुनाव में अपनी-अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में हैं. अबकी बार के चुनाव में एक्टर-एक्ट्रेस भी अलग-अलग पार्टियों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन आज हम आपको बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान से जुड़ा एक चुनावी किस्सा सुनाने जा रहे हैं.
बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान हरियाणा के गुरुग्राम से चुनाव लड़े थे. ताज मोहम्मद कांग्रेस उम्मीदवार और देश के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना अबुल कलाम आजाद के खिलाफ चुनावी मैदान में थे. उस समय शाहरुख खान का जन्म नहीं हुआ था.
यह कहानी 1957 की और आजादी के बाद होने वाले दूसरे लोकसभा चुनाव की है. 1957 में हरियाणा (तत्कालीन पंजाब) की 7 सीटों पर भी चुनाव हुए थे. इनमें से एक सीट थी गुड़गांव जो आज गूरुग्राम है. 1957 के लोकसभा चुनाव में गुड़गांव सीट बेहद अहम हो गई थी, क्योंकि इस सीट से देश के पहले शिक्षा मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार अबुल कलाम आजाद मैदान में थे.
1957 के लोकसभा चुनाव में गुड़गांव सीट से केवल तीन उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. पहले कांग्रेस की टिकट पर अबुल कलाम आजाद, दूसरे भारतीय जनसंघ के मूल चंद और तीसरे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान थे. आजादी के आंदोलन में कांग्रेस के साथ रहे ताज मोहम्मद इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ मैदान में उतरे थे.
गुड़गांव सीट से ताज मोहम्मद खान चुनाव तो लड़े लेकिन उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में ताज मोहम्मद खान को एक भी वोट नहीं मिला. कांग्रेस के मौलाना अबुल कलाम आजाद को 1 लाख 91 हजार 221 वोट (66.7%) मिले. वहीं जनसंघ के मूल चंद को 95 हजार 553 मत (33.3%) वोट मिले, जबकि ताज मोहम्मद खान को जीरो वोट मिले. इस तरह से उनकी इस चुनाव में बुरी तरह हार हुई. ताज मोहम्मद की 1981 में कैंसर से मौत हो गई.
शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान स्वतंत्रता सेनानी थे. देश की आजादी की लड़ाई में उन्होंने काम किया था. साथ ही वह कांग्रेस से जुड़े थे. उन्होंने महात्मा गांधी और सीमांत गांधी के नाम से मशहूर अब्दुल गफ्फार खान के साथ आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. वो खुदाई खिदमतगार के साथ अभियानों में भी शामिल रहे.
आजादी से पहले मीर ताज मोहम्मद का परिवार पाकिस्तान के पेशावर में रहता था. आजादी के बाद वो दिल्ली में रहने लगे. मीर ताज मोहम्मद आजादी के बाद चुनावी राजनीति में भी सक्रिय हुए. पहले तो वो कांग्रेस से जुड़े रहे लेकिन आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ ही खड़े हो गए.