नस्लीय टिप्पणी, पार्टी की किरकिरी और फिर शाम को इस्तीफा, सैम पित्रोदा विवाद में समझें कैसे क्या हुआ

कथित नस्लीय टिप्पणी मामले में सैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा दे दिया है. अपने बयान को लेकर पित्रोदा विपक्ष के निशाने पर आ गए थे.

India Daily Live

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने विवाद में फंसने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सैम पित्रोदा के बयान के बाद कांग्रेस बुरी तरह से फंसती नजर आ रही थी. विपक्ष द्वारा कांग्रेस को जमकर निशाना बनाया जा रहा था, नतीजा यह हुआ कि सैम पित्रोदा को इस्तीफा देना पड़ा. 

किस मामले में गिरे थे पित्रोदा
सैम पित्रोदा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उत्तर भारत के लोगों की तुलना अंग्रेजों, पश्चिम भारतीयों की तुलना अरब, पूर्वी भारत के लोगों की तुलना चीनियों और दक्षिण भारत के लोगों की तुलना अफ्रीकियों से की थी.

कांग्रेस ने किया बयान से किनारा
हालांकि कांग्रेस ने सैम पित्रोदा के इस बयान से किनारा किया है. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने पित्रोदा के बयान पर कहा, 'सैम पित्रोदा की ओर से भारत की अनेकताओं को जो उपमाएं दी गई हैं, वो गलत और दुर्भाग्यपूर्ण हैं, अस्वीकार्य हैं. कांग्रेस इन उपमाओं से अपने आप को पूर्ण रूप से अलग करती है और इसका खंडन करती है.'

भाजपा ने साधा कांग्रेस पर निशाना
सैम पित्रोदा का यह बयान ऐसे समय में आया जब देश में लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं. सैम पित्रोदा के बयान को भाजपा ने जमकर भुनाने की कोशिश की. प्रधानमंत्री मोदी ने प्रितोदा के इस बयान पर कहा, 'मैं आज बहुत गुस्से में हूं. कोई मुझे गाली दे मुझे गुस्सा नहीं आता. मैं सहन कर लेता हूं लेकिन आज शहजादे के फिलॉस्फर (सैम पित्रोदा) ने इतनी बड़ी गाली दी है जिसने मुझे गुस्से में भर दिया है. कोई मुझे ये बताए कि क्या मेरे देश में चमड़ी के आधार पर योग्यता तय होगी. संविधान सिर पर लेकर नाचने वाले लोग चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान कर रहे हैं.' 

आखिर क्या बोले थे पित्रोदा, पढ़ें पूरा बयान
अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में पित्रोदा ने कहा था, 'हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व में रहने वाले लोग चाइनीज जैसे दिखते हैं, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में रहने वाले मेरे ख्याल से गोरे लोगों की तरह दिखते हैं, वहीं दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी जैसे लगते हैं. इससे फर्क नहीं पड़ता. हम सब भाई-बहन हैं.'

पित्रोदा ने कहा था कि भारत में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के रीति-रिवाज, खान-पान, धर्म, भाषा अलग-अलग हैं लेकिन वे सभी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं.पित्रोदा ने कहा कि आज आइडिया ऑफ इंडिया को लेकर देश वाकई बंटा हुआ है. ये ऐसा नहीं है कि कौन सही है और कौन गलत है लेकिन सवाल ये है कि आपकी मान्यता क्या है. दोनों तरफ स्थितियां काफी कठिन है.

पित्रोदा ने आगे कहा कि एक पक्ष का मानना है कि हमें हिंदू राष्ट्र चाहिए. मेरी नजर में उस पक्ष का प्रतिनिधित्व ऐसे लोग कर रहे हैं जिन्होंने महात्मा गांधी को मारा. ये सही है या गलत हम इस बारे में बहस कर सकते हैं. उनका विचार है कि भारत हिंदू राष्ट्र है जहां दूसरों के लिए कोई स्थान नहीं है. खासतौर पर मुसलमानों के लिए. देश में 20 करोड़ मुसलमान हैं आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते.

ये पक्ष राम मंदिर, इतिहास, धरोहर, हनुमान, बजरंग दल औ इस तरह के सभी मुद्दों के आस-पास घूमता है और मैं उनके विचार का सम्मान करता हूं. हालांकि मेरा दूसरा पक्ष ये है कि हमारे देश की नींव रखने वालों ने ब्रिटिश राज से संघर्ष किया. ये लड़ाई हिंदू राष्ट्र के लिए नहीं थी, बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए थी.  ये वो भारत है जिसे मैं मानता हूं जिसके मूल में लोकतंत्र, आजादी और बंधुता है.