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Ratnagiri–Sindhudurg Lok Sabha: ठाकरे के 'दुश्मन' नारायण राणे को टक्कर दे पाएंगे उद्धव के सिपाही विनायक राउत?

Narayan Rane vs Vinayak Raut: महाराष्ट्र की रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट पर इस बार पूर्व सीएम नारायण राणे के चुनाव में उतरने की वजह से यहां की जंग काफी रोमांचक हो गई है.

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Edited By: India Daily Live
Ratnagiri Sindhu Durg
Courtesy: India Daily Live

इस बार महाराष्ट्र की कई लोकसभा सीटों पर बेहद रोमांचक चुनाव होने वाला है. रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग की सीट ऐसे ही हाई प्रोफाइल मुकाबले की गवाह बनने जा रही है. पूरे महाराष्ट्र में बनते-बिखरते गठबंधन के चलते सारे समीकरण नए सिरे से बन गए हैं. हमेशा कांग्रेस के खिलाफ रहने वाले उद्धव ठाकरे अब उसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, अजित पवार और एकनाथ शिंदे जैसे नेता अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ हैं. पहली बार ऐसा हो रहा है कि राज्य की दो मुख्य पार्टियों शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो-दो धड़े चुनाव के मैदान में हैं. इस तरह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा कुल 4 और मुख्य पार्टियां हो गई हैं.

रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से इस बार बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे को चुनाव में उतार दिया है. केंद्र सरकार में मंत्री नारायण राणे इस बार अपने गढ़ को बचाने के लिए चुनाव मैदान में हैं. नारायण राण के बेटे नितेश राणे इसी लोकसभा क्षेत्र में आने वाली कनकावली विधानसभा सीट से विधायक हैं. नारायण राणे का सामना उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद और यहां से दो बार के सांसद विनायक राउत से है.

बागी vs भरोसेमंद की जंग

नारायण राणे एक समय पर शिवसेना के कद्दावर नेता हुआ करते थे. उनको मुख्यमंत्री भी शिवसेना ने ही बनाया था. 1999 के चुनाव में बीजेपी-शिवसेना की हार के बाद ठाकरे परिवार और नारायण राणे के बीच दूरिया बढ़ने लगीं. 2005 में नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. 12 साल कांग्रेस में रहने के बाद राणे ने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई लेकिन 2019 में उसका विलय बीजेपी में कर दिया. 

नारायण राणे के बेटे निलेश राणे 2009 में कांग्रेस सांसद भी रहे हैं. 2014 में भी वह कांग्रेस के ही टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए. 2019 में महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष के टिकट पर लड़े निलेश राणे 2.79 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे. ऐसे में इस बार बीजेपी ने शिवसेना से संबंध टूटने के बाद इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए नारायण राणे को ही मैदान में उतार दिया. नारायण राणे का मुकाबला, उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद माने जाने वाले विनायक राउत से है. विनाय राउत 2014 और 2019 में निलेश राणे को चुनाव हराकर यहां से सांसद बनते रहे हैं. लगातार जीत और बगावत की लहर में भी उद्धव के साथ बने रहने के चलते शिवसेना (UBT) ने उन पर भरोसा जताया है और एक बार फिर चुनाव में उतारा है.

क्या है रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग का गणित?

साल 2009 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर अब तक तीन पार चुनाव हुए हैं. एक बार कांग्रेस में रहे निलेश राणे ने यहां से जीत हासिल की है तो दो बार विनायक राउत चुनाव जीते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र की कुल 6 विधानसभा सीटों में से एक पर एनसीपी के शेखर निकम, दो पर शिवसेना, दो पर शिवसेना (UBT) और एक पर बीजेपी के नितेश राणे का कब्जा है.

महाराष्ट्र के किलों के लिए मशहूर इस इलाके को शिवसेना के गढ़ के तौर पर जाना जाता है. हालांकि, नारायण राणे के बीजेपी में जाने, शिवसेना के दोफाड़ होने, शिवेसना (UBT) और कांग्रेस, एनसीपी के गठबंधन के चलते समीकरण काफी बदले हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि, खुद नारायण राणे के चुनाव में उतरने से मामला काफी रोमांचक होने जा रहा है. इतना तो तय है कि इस सीट की लड़ाई अब एकतरफा नहीं होने वाली है.

इसके बावजूद, नारायण राणे आत्मविश्वास जता रहे हैं और उनका कहना है कि उनके सामने कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं है. वहीं, विनायक राउत का कहना है कि उनके पास बीजेपी जितनी शक्ति और पैसा तो नहीं है लेकिन उनके साथ लोगों का का समर्थन जरूर है.