Political Files: देश भर में लोकतंत्र के उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं और इसी त्योहार की तैयारियों में हम सत्ता के गलियारों से कुछ अनोखी कहानियां आप तक लेकर आ रहे हैं. आज की कहानी 39 साल पुरानी है जब देश को एक ऐसी घटना देखने को मिली थी जिसमें सीएम पद की शपथ लेने के महज अगले दिन ही उन्हें राज्यपाल की शपथ लेनी पड़ी.
हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह की, जिन्होंने 1985 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने का काम किया था. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में कांग्रेस के लिए सहानुभूति की लहर ने मध्यप्रदेश में पार्टी की वापसी कराई और 320 सीटों में से 250 पर जीत दिलाई.
अर्जुन सिंह के लिए यह जीत कई मायनों में खास थी क्योंकि यह पहली बार था कि 1980 से 1985 तक सरकार चलाने के बाद वो कांग्रेस को लगातार दूसरी जीत दिलाने वाले नेता बने थे तो वहीं इसके चलते राजनीतिक कद भी बढ़ गया था.
ऐसे में उनका सीएम पद का दावेदार बनना बिल्कुल स्वाभाविक था और हुआ भी वही, कांग्रेस ने उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया और 11 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह ने सीएम पद की शपथ ली लेकिन सभी को चौंकाते हुए अगले दिन ही इस्तीफा दे दिया. अर्जुन सिंह के इस्तीफे ने सभी को हैरान कर दिया था क्योंकि राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें पंजाब का राज्यपाल नियुक्त कर दिया था.
कांग्रेस के इस फैसले से खुद अर्जुन सिंह भी हैरान रह गए थे क्योंकि अगर उन्हें राज्यपाल बनाना ही था तो सीएम पद की शपथ क्यों लेने दी और अगर सीएम बनाना था तो ये बाद में राज्यपाल बनाने का फैसला क्यों लिया गया. कांग्रेस लीडरशिप के इस फैसले से खुद अर्जुन सिंह भी नाखुश थे लेकिन माना यही गया कि वो कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का शिकार हो गए थे.
राजनीतिकारों के अनुसार कांग्रेस के इनर सर्किल में अर्जुन सिंह का लगातार दूसरी बार सीएम बनना पसंद नहीं आ रहा था. अर्जुन सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में मोतीलाल वोहरा को सीएम बनाया जिन्होंने अगले 3 साल तक इस पद की जिम्मेदारी संभाली. वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में वापसी को बेताब अर्जुन सिंह की वापसी 14 फरवरी 1988 को हुई और तीसरी बार उन्होंने मध्यप्रदेश के सीएम की शपथ ली.
हालांकि अर्जुन सिंह का ये कार्यकाल भी लंबा न चल सका और महज एक साल के अंदर चुरहट लॉटरी घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस्तीफे के बाद एक बार फिर से मोतीलाल वोरा ने सीएम पद की कमान संभाली. मध्यप्रदेश में सियासी उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही थी जिसके चलते कांग्रेस ने अगले चुनाव से पहले ही मोतीलाल वोरा को हटा कर श्यामाचरण शुक्ल को सीएम बना दिया. ये पहला मामला था जब मध्यप्रदेश की 8वीं विधानसभा के 5 साल में 5 मुख्यमंत्री बनाए गए थे.