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Political Files: राजनीतिक डेब्यू में हारे फिर जीते तो मिली मौत, गांधी परिवार का वो मेंबर जिसके लिए अशुभ थी अमेठी की सीट

Political Files: कांग्रेस ने शुक्रवार को चौथे चरण के मतदान के लिए नामांकन के आखिरी दिन अमेठी और रायबरेली की सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया, हालांकि पार्टी के फैसले ने राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारा और इस फैसले ने सभी को चौंका दिया.

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Edited By: Vineet Kumar
Amethi Seat Gandhi Pariwar

Political Files: एक लंबे सस्पेंस के बाद, कांग्रेस ने आखिरकार उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली की अपनी पारंपरिक नेहरू-गांधी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. इस सीट पर चर्चा थी कि कांग्रेस अपनी पारंपरिक सीटों के लिए गांधी परिवार के भाई-बहन राहुल और प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतार सकता है, हालांकि जब नामों का ऐलान हुआ तो सभी हैरान रह गए.

कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को उतारा तो वहीं प्रियंका गांधी को अमेठी से लड़ने का विकल्प दिया, हालांकि प्रियंका के इंकार के चलते कांग्रेस को अमेठी में 63 वर्षीय किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारना पड़ा.

किशोरी लाल शर्मा के नाम भी दर्ज हुई खास उपलब्धि

किशोरी लाल शर्मा की बात करें तो वो राजीव गांधी के समय से ही गांधी परिवार के करीबी सहयोगी रहे हैं. इस सीट पर उनके नामांकन के साथ ही शर्मा अमेठी से लड़ने वाले केवल पांचवें गैर-गांधी परिवार के उम्मीदवार बन गये हैं.

2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा की स्मृति ईरानी ने तत्कालीन अमेठी सांसद राहुल को हराकर इतिहास रचा था और 1967 में बनी इस सीट पर जीत हासिल करने वाली महज तीसरी गैर-कांग्रेसी सांसद बनी थी. इससे पहले भाजपा के लिए संजय सिंह ने 1998 में यह सीट जीती थी, जो पहले कांग्रेस से नेता थे. वहीं रवींद्र प्रताप सिंह अमेठी से जीत हासिल करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी सांसद थे जिन्होंने 1977 के आपातकाल के बाद हुए चुनावों में यहां से जीत हासिल की थी.

राजनीतिक डेब्यू में चुनाव हारे फिर जीत के बाद मिली मौत

अमेठी सीट के इतिहास की बात करें तो 57 साल में अब तक इस सीट पर हुए 14 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 11 बार अमेठी पर जीत हासिल की है. सीट के गठन के बाद कांग्रेस ने वीडी बाजपेयी को यहां से उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने 1967 और फिर 1971 में यहां से जीत हासिल की. 1977 में उन्होंने यह सीट तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के राजनीतिक डेब्यू के लिए छोड़ी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1980 में संजय ने इस सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता लेकिन महीनों बाद उनकी मृत्यु हो गई.

राजीव ने लगातार 3 बार दर्ज की जीत फिर सतीश शर्मा को मिला जिम्मा

संजय गांधी की मृत्यु के बाद, उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने उपचुनाव में सीट जीती. राजीव ने लगातार तीन बार अमेठी निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा किया. 1991 में उनकी हत्या के बाद, गांधी परिवार के वफादार सतीश शर्मा ने यह सीट संभाली. उन्होंने 1991 के उपचुनाव और 1996 के लोकसभा चुनावों में इसे जीता, लेकिन 1998 के चुनावों में इसे बचा पाने में नाकाम रहे. 

सोनिया गांधी ने किया अमेठी से डेब्यू फिर थामा रायबरेली का दामन

1999 के चुनाव में अमेठी से चुनावी शुरुआत करते हुए सोनिया ने यह सीट जीती. वह 2004 में अपने बेटे राहुल के चुनावी पदार्पण के लिए अमेठी सीट छोड़कर पड़ोसी राज्य रायबरेली चली गईं, जिन्होंने 2019 में स्मृति ईरानी के हाथों अपनी चौंकाने वाली हार से पहले 2004, 2009 और 2014 में तीन बार इसे जीता.

कब किया था बेस्ट और वर्स्ट प्रदर्शन

वोट शेयर के मामले में, कांग्रेस आठ चुनावों में 50% से अधिक वोट हासिल करके अमेठी में प्रमुख पार्टी रही है. 1981 के उपचुनाव में राजीव ने अमेठी में रिकॉर्ड 84.18% वोट शेयर हासिल किया. पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन 1998 में था, जब उसे मतदान में केवल 31.1% वोट हासिल हुए थे.

57 साल पहले मिला थी सबसे कड़ी टक्कर

1967 में अमेठी का पहला लोकसभा चुनाव भी वोटों के मामले में सबसे कड़ा मुकाबला था, जिसमें केवल 2.07 प्रतिशत अंकों के साथ कांग्रेस विजेता को भाजपा के पूर्ववर्ती अवतार भारतीय जनसंघ (बीजेएस) से अलग कर दिया गया था. यह कांग्रेस की ओर से हासिल किया गया सबसे कम जीत का वोट शेयर भी था.

बीजेपी ने सिर्फ दी है कड़ी टक्कर, जनता पार्टी ने एकतरफा हराया था

1977 में, जब कांग्रेस पहली बार अमेठी सीट हार गई, तो उसे केवल 34.47% वोट मिले, जो जनता पार्टी के 60.47% से काफी पीछे था. 1998 और 2019 में इसकी अन्य हार में, मुकाबला बहुत करीबी था, क्रमशः 3.98 प्रतिशत अंक और 5.87 प्रतिशत अंक के साथ, कांग्रेस को विजेता भाजपा से अलग कर दिया. 1990 के दशक से, भाजपा अमेठी में कांग्रेस की सबसे बड़ी विरोधी रही है, हालांकि 2004 और 2009 में बीएसपी इस सीट पर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी.

विधानसभा चुनावों में खो चुकी है अपनी पकड़

लोकसभा में अपने प्रदर्शन के बावजूद, कांग्रेस इस सीट पर पिछले दो यूपी विधानसभा चुनावों में भाजपा से पिछड़ गई है. 2017 और 2022 के राज्य चुनावों में, भाजपा ने अमेठी संसदीय क्षेत्र बनाने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक संयुक्त वोट शेयर हासिल किया. 2017 में बीजेपी को कांग्रेस के 24.4% के मुकाबले 35.7% वोट मिले. 2022 में, भाजपा ने अपनी बढ़त 41.8% तक बढ़ा दी, उसके बाद समाजवादी पार्टी (सपा) 35.2% और कांग्रेस 14.3% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही.

2022 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस अमेठी में किसी भी सीट पर जीत हासिल करने में विफल रही, जबकि भाजपा ने तीन सीटें और सपा ने दो सीटें जीतीं. 2017 में बीजेपी ने चार और एसपी ने एक सीट जीती थी.