प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 के खत्म होने बाद देशवासियों को एक भावुक चिट्ठी लिखी है. उन्होंने लोकसभा चुनावों से जुड़े हुए लम्हों को याद किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने रैलियों से लेकर रोड शो तक का जिक्र करते हुए एक जनता को एक संदेश देने की कोशिश की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'मेरा मन बहुत सारे अनुभवों और भावनाओं से भरा हुआ है. मैं अपने भीतर असीम ऊर्जा का प्रवाह महसूस कर रहा हूं. 2024 का लोकसभा चुनाव अमृत काल का पहला चुनाव है. मैंने कुछ महीने पहले 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की भूमि मेरठ से अपना अभियान शुरू किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा मैंने अपना पूरा देश नाप लिया है. मुझे महान गुरुओं की भूमि और संत रविदास जी से जुड़ी भूमि पंजाब के होशियारपुर तक जाने का सौभाग्य मिला. पढ़ें उन्होंने क्या क्या कहा है.
1. चुनाव का उत्साह दिल और दिमाग में गूंज रहा है. रैलियों और रोड शो में दिख रहे लोगों की भीड़ मेरी आंखों के सामने आ गई. हमारी नारी शक्ति का आशीर्वाद भरोसा, स्नेह, सब दिख रहा है. मेरी आंखे नम हो रही हैं. मैं एक साधना में चला गया हूं. राजनीतिक बहस, जवाबी हमले अब शून्य हैं, मैं बाहरी दुनिया से अब अलग हो गया हूं.
2. ये जिम्मेदारियां असहज करती हैं, लेकिन कन्याकुमारी और स्वामी विवेकानंदर की प्रेरणा ने इसे आसान बना दिया. मैंने अपना चुनाव काशी के लोगों पर छोड़ दिया.
3. मैं भगवान का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे जन्म से ही ये मूल्य दिए हैं जिन्हें मैंने संजोया है और जीने की कोशिश की है. मैं यह भी सोच रही थी कि स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी में इसी स्थान पर अपने ध्यान के दौरान क्या अनुभव किया होगा. मेरे ध्यान का एक हिस्सा इसी तरह के विचारों की धारा में बीता.
4. इस वैराग्य, शांति और मौन के बीच, मेरा मन निरंतर भारत के उज्ज्वल भविष्य, भारत के लक्ष्यों के बारे में सोच रहा था. कन्याकुमारी में उगता हुआ सूरज मेरे विचारों को नया संकल्प दे रहा था. सागर मेरे विचारों को विस्तार दे रहा था और क्षितिज ब्रह्मांड की गहराइयों में ले जा रहा था.
5. कन्याकुमारी हमेशा से मेरे दिल के बहुत करीब रही है. कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल का निर्माण श्री एकनाथ रानाडे जी के नेतृत्व में किया गया था. मुझे एकनाथ जी के साथ व्यापक यात्रा करने का अवसर मिला. इस स्मारक के निर्माण के दौरान, मुझे कन्याकुमारी में भी कुछ समय बिताने का अवसर मिला.
6. कश्मीर से कन्याकुमारी तक, देश की पहचान दिल से समाई हुई है. यह वह शक्तिपीठ है, जहां मां शक्ति ने कन्या कुमारी के रूप में अवतार लिया था. इस दक्षिणी छोर पर मां शक्ति ने तपस्या की और भगवान शिव का इंतजार किया.
7. कन्याकुमारी संगम की भूमि है. हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में मिलती हैं. यहां सारे समुद्र मिलते हैं. यह भारत का वैचारिक संगम है.
8. कन्याकुमारी में संत तिरुवल्लुवर की भव्य प्रतिमा समुद्र से मां भारती के विस्तार को देखती हुई लगती है. उनकी कृति तिरुक्कुरल सुंदर तमिल भाषा का अहम ग्रंथ है. यह जीवन के हर पहलू को समेटे हुए है.
9. स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था, 'प्रत्येक राष्ट्र के पास देने के लिए एक संदेश होता है, पूरा करने के लिए एक मिशन होता है, पहुंचने के लिए एक नियति होती है. हजारों वर्षों से भारत इसी सार्थक उद्देश्य की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है.'
10. हमें अपने देश को विकसित भारत बनाने के लिए उत्कृष्टता का सिद्धांत अपनाना होगा. हमें चारों दिशाओं में तेजी से काम करने की जरूरत है. हमें हर पल इस बात पर गर्व होना चाहिए कि भगवान ने हमें भारत की भूमि पर जन्म दिया है. भगवान ने हमें भारत की सेवा करने और हमारे देश की उत्कृष्टता की यात्रा में अपनी भूमिका निभाने के लिए चुना है. हमें आधुनिक संदर्भ में प्राचीन मूल्यों को अपनाते हुए अपनी विरासत को आधुनिक तरीके से फिर से परिभाषित करना होगा.