'60 बार हिंदू-मुस्लिम तो 32 बार राम मंदिर', जैसे-जैसे बढ़ा सियासी पारा बदलते गए पीएम मोदी के सुर, जानें कितनी बार लिया कांग्रेस का नाम
PM Modi Speech Analysis: लोकसभा चुनाव 2024 अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ चुका है जिसको लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए चुनावी भाषणों के विश्लेषण से पता चलता है कि जैसे-जैसे सियासी पारा बढ़ा उनके भाषणों में संपत्ति का फिर से बंटवारा और धर्म-आधारित आरक्षण की आशंकाओं पर टिप्पणियों में तेजी हुई है.
PM Modi Speech Analysis: कांग्रेस और उसके पहले परिवार के शासन काल पर हमले से लेकर, विकास, विश्वगुरु और 2047 तक विकसित भारत का वादा- 16 मार्च को लोकसभा चुनावों की अधिसूचना जारी होने के बाद से ये विषय पीएम नरेंद्र मोदी के भाषणों की थीम नजर आ रही थी. हालांकि 5 अप्रैल को कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के बाद यह बयानबाजी हिंदू-मुस्लिम मुद्दों से लेकर एससी/एसटी और ओबीसी के आरक्षण को धर्म आधारित करने के विचार और संपत्ति के पुनर्वितरण के विचारों की ओर मुड़ गई.
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट में 17 मार्च से 15 मई तक पीएम मोदी की ओर से दिए गए 111 भाषणों का विश्लेषण किया गया है जो कि narendramodi.in वेबसाइट पर भी उपलब्ध है. यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे अहम मुद्दों और जोर में बदलाव ने पार्टी और सरकार की कहानी को तीसरे कार्यकाल के लिए बदल दिया है.
पीएम की 111 स्पीच का किया विश्लेषण
पीएम मोदी ने अपने 45 भाषणों में रोजगार की बात की और यह आमतौर पर सरकारी परियोजनाओं और योजनाओं के माध्यम से उत्पन्न नौकरियों के संदर्भ में थी. पांच भाषणों में महंगाई की बात की गई है लेकिन उसमें भी यही कहा गया है कि कैसे केंद्रीय योजनाओं के समर्थन के चलते उसे नियंत्रण में रखा गया है.
आंकड़े के अनुसार पीएम मोदी ने 17 मार्च से 5 अप्रैल के बीच 10 बार भाषण दिए और इसमें कांग्रेस और उसके भ्रष्टाचार का जिक्र 10 बार किया तो परियोजनाओं और विकास की बात भी 10 बार की. इस दौरान गरीबों और महिलाओं के मुद्दे पर 9 बार बात की तो भारत को विश्वगुरु बनाने के मुद्दे का जिक्र भी 8 बार किया. बाकी विपक्ष पर 8 बार तो मोदी की गारंटी का जिक्र 7 बार किया. इस दौरान पीएम मोदी ने राम मंदिर के मुद्दे का भी जिक्र किया और 6 बार उनका नाम लिया.
राम मंदिर और विपक्ष बना मुद्दा
5 अप्रैल को कांग्रेस ने अपना मैनिफेस्टो रिलीज कर दिया जिसके बाद पीएम मोदी ने 6 अप्रैल से 20 अप्रैल के बीच 34 बार भाषण दिए और इस दौरान सबसे ज्यादा कांग्रेस और विकास पर 32 बार बात की. इस दौरान परियोजनाओं के बारे में पीएम मोदी ने 31 बार बात की तो बाकी विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधने में पीछे नहीं रहे और 28 बार उनका जिक्र किया. वहीं पीएम ने मोदी की गारंटी पर भी 28 बार बात की. पीएम मोदी ने इस दौरान जहां 26 बार राम मंदिर का जिक्र किया तो वहीं पर 27 बार विपक्ष के भ्रष्टाचार पर भी हमलावार हुए.
तीसरे फेज में बदल गई पीएम मोदी की रणनीति
पीएम मोदी की स्पीच का तीसरा फेज 21 अप्रैल से 15 मई के बीच रहा जिसमें उन्होंने 67 बार भाषण दिया और इस दौरान उनकी स्पीच का मुख्य बिंदु कांग्रेस और हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे नजर आए. पीएम मोदी ने जहां अपने भाषणों में 63 बार कांग्रेस का नाम लिया तो वहीं 60 बार हिंदू-मुस्लिम के मुद्दों पर भी बात की. हालांकि पीएम मोदी ने इस फेज में भी परियोजनाओं (60 बार) और विकास (60 बार) के मुद्दे को नहीं छोड़ा.
बाकी विपक्षी पार्टियों को पीएम मोदी ने 57 बार घेरा तो वहीं एससी एसटी की भलाई के मुद्दे पर 54 बार बोले. पीएम मोदी ने तीसरे फेज में राम मंदिर के मुद्दे को कम उठाया लेकिन विपक्ष के भ्रष्टाचार (50) और गरीबों (49) की बात लगातार अपने भाषणों में करते नजर आए.
अबकी बार 400 पार से किया था आगाज
पीएम मोदी ने लोकसभा चुनावों का प्रचार "अबकी बार 400 पार" के नारे के साथ किया और बीजेपी समेत अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ 400 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा. पीएम मोदी ने कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के बाद 6 अप्रैल को राजस्थान के अजमेर में अपनी रैली में पहली बार मुस्लिम का इस्तेमाल किया और का कि इस घोषणापत्र में "मुस्लिम लीग" की छाप है. इस अवधि में, मोदी ने अपने 34 भाषणों में से 7 में कांग्रेस के न्याय पत्र के "मुस्लिम लीग घोषणापत्र" होने का दावा किया था.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष "हिंदू विरोधी" था (34 भाषणों में से 17), विशेष रूप से जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर अभिषेक समारोह में शामिल नहीं होने के लिए. इस दौरान राम और राम मंदिर का 26 बार उल्लेख हुआ. भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के आरोप अभी भी विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस के खिलाफ हमले की पहली लाइन थे जिसका उल्लेख उन्होंने अपने 27 भाषणों में किया.
21 अप्रैल से आरक्षण और हिंदू-मुस्लिम पर स्विच हो गए पीएम
21 अप्रैल से 15 मई के बीच पीएम मोदी का ध्यान संपत्ति के फिर से बंटवारे और धर्म आधारित आरक्षण पर रहा लेकिन इस दौरान उन्होंने राम और अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी बातों का 43 बार उल्लेख किया. पीएम मोदी ने अपने 67 भाषणों में केवल 16 बार ही 400 पार का नारा लगाया और खुद के दिए लक्ष्य की प्रासंगिकता को और गिरा दिया.
21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में, मोदी ने मुसलमानों का जिक्र किया और फिर धन पुनर्वितरण के संदर्भ में पहली बार "घुसपैठिए (घुसपैठियों)" का उल्लेख किया. उनके कुल 111 भाषणों में 12 बार घुसपैठियों का जिक्र था. कई मामलों में, मोदी ने यह भी दावा किया कि हिंदू महिलाओं के "स्त्रीधन" यानी उनके मंगलसूत्र छीने जाने का खतरा हो सकता है. मंगलसूत्र टिप्पणी का पहला उल्लेख बांसवाड़ा भाषण में हुआ था. तब से, इस अवधि में 67 में से 23 भाषणों में मंगलसूत्र का जिक्र आया.
दूसरे चरण के मतदान से पहले और चरण 5 से कुछ समय पहले तक, यानी 21 अप्रैल से 15 मई तक, हिंदू-मुस्लिम टिप्पणियां - कांग्रेस के "मुस्लिम वोट बैंक" को लाभ पहुंचाने के लिए धन का फिर से बंटवारा, एसटी और ओबीसी या अनुसूचित जाति से आरक्षण की "लूट", - 67 में से 60 भाषणों में शामिल थे.
मोदी की चार जातियां- महिला, युवा, किसान, गरीब
पिछले साल, मोदी ने घोषणा की थी कि चार प्रमुख "जातियां" - महिलाएं, युवा, किसान और गरीब - भारत में विकास को बढ़ावा देंगी और ये उनके अभियान भाषणों के निरंतर विषय थे. नीति आयोग के अनुमान के अनुसार जबकि मोदी अक्सर गरीबों के बारे में बात करते थे, उनके 111 भाषणों में से 84 में उन्होंने पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए अपनी सरकार के काम का प्रदर्शन किया - 69 में किसानों और 56 में युवाओं का उल्लेख किया.
पीएम मोदी के 81 भाषणों में महिलाएं शामिल रहीं और हाल के चुनावों में वे भाजपा के लिए वोट हासिल करने में सबसे अहम रही हैं. पीएम मोदी ने सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर, लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण से लेकर "ड्रोन दीदी" कार्यक्रम तक बीजेपी की ओर से शुरू की गई महिला केंद्रित परियोजनाओं पर बात की.