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बड़बोले राजभर के साथ घोसी में हो गई 'लीला', हॉकी-छड़ी के चक्कर में साइलेंट हो गए ओम प्रकाश

एक सांस में सौ जातियों के नाम गिनाने वाले ओम प्रकाश राजभर के साथ चुनाव में उनकी जाति ही नहीं गई. उनके बेटे अरविंद राजभर को सपा प्रत्याशी राजीव राव ने एक लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया. अब राजभर का कहना है कि उन्हें छड़ी और हॉकी निशान में भ्रम को लेकर हार मिली है. समझिए क्या है विवाद.

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Edited By: India Daily Live
OM Prakash and Arvind Rajbhar
Courtesy: Social Media

उत्तर प्रदेश की सियासत में ओम प्रकाश राजभर का नाम शायद ही ऐसा कोई हो जो जानता न हो. सत्ता के गलियारों में ऐसे जाति विश्लेषक, शायद ही कभी जन्मे हों. सियासी चाणक्य होने के बाद भी ओम प्रकाश राजभर, अपने बेटे अरविंद राजभर को घोसी लोकसभा सीट से नहीं जिता पाए. उन्हें समाजवादी पार्टी के राजीव राय ने 162943 वोटों से हरा दिया. अरविंद राजभर को महज 340188 वोट पड़े, दूसरी तरफ राजीव राज को 503131 वोट पड़े. अब अरविंद राजभर की हार को लेकर नया खुलासा हो रहा है.

ओम प्रकाश राजभर का खेमा कह रहा है कि उन्हें हार, लीलावती राजभर की वजह से मिली है. एक तरफ जहां ओम प्रकाश राजभर का चुनाव चिह्न छड़ी थी, दूसरी तरफ लीलावती राजभर का चुनाव चिन्ह हॉकी. अब जनता यही नहीं तय कर पा रही थी कि कौन से राजभर को वोट देना है. 

लीलावती राजभर और अरविंद राजभर के चुनाव चिह्न में बहुत समानता था. ओम प्रकाश राजभर से जुड़े लोग कह रहे हैं कि लोग निशान नहीं पहचान पाए, इसलिए अरविंद हार गए. हालांकि सच्चाई ये है कि लीलावती राजभर, मूलनिवासी समाज पार्टी से चुनाव लड़ी थीं, जिन्हें कुल वोट ही 47527 पड़े थे. तब भी जीत हार का अंतर बहुत ज्यादा था.

क्या कह रहे हैं राजभर के समर्थक?

राजभर के समर्थकों का कहना है कि लीलावती राजभर घोसी से चुनावी मैदान में थीं. उन्हें चुनावी निशान मिला हॉकी. ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी का चुनावी निशान छड़ी है. छड़ी और हॉकी के निशान एक जैसे हो गए, जो लीलावती राजभर 500 वोट नहीं पाती, उन्हें छड़ी के धोखे में 47527 वोट पड़ गए.

 

बीजेपी में आना गया बेकार, खाली रह गए राजभर के हाथ!

ओम प्रकाश राजभर का एनडीए गठबंधन में आना बेकार गया. वे जिस भरोसे के साथ दावा कर रहे थे कि यूपी में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलेगा, वही गलत साबित हो गया. घोसी सीट पर सपा और सुभासपा के बीच सियासी जंग में उन्हें करारी हार मिली. सपा ने अकेले, अपने दम पर 37 सीटें जीत ली हैं. अब राजभर तो कुछ भी कहें लेकिन खेला हो चुका है. वे बुरी तरह हारे हैं.