जल्दबाजी में वोटिंग डेटा डालने में हो सकती है गड़बड़ी, EC ने सुप्रीम कोर्ट को बताई दिक्कत
17 मई को शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक याचिका पर जवाब देने को कहा था, जिसमें मतदान समाप्त होते ही फॉर्म 17सी की स्कैन की गई कॉपी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा गया था.
लोकसभा चुनाव के बीच EC ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल की है. चुनाव आयोग का कहा है वोटिंग के 48 घंटों की भीतर वोटर्स का डेटा सार्वजनिक करना संभव नहीं है. आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि बूथवार फॉर्म 17C आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है.
मतदान के दिन की समाप्ति पर अपनी वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार मतदाता मतदान का डेटा अपलोड करने की याचिका का जवाब देते हुए, चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह फॉर्म 17सी अपलोड नहीं कर सकता. क्योंकि इसे उम्मीदवारों और उनके एजेंटों के अलावा किसी अन्य को देने का कोई कानूनी आदेश नहीं है.
मानवीय भूल हो सकती-EC
17 मई को, शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक याचिका पर जवाब देने को कहा था, जिसमें मतदान समाप्त होते ही फॉर्म 17सी की स्कैन की गई प्रतियां चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा गया था. चुनाव आयोग ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि फॉर्म 17सी अपलोड करने की हड़बड़ी में बहुत मुमकिन है कि वेरिफिकेश के दौरान मानवीय भूल हो सकती है.
हर मतदान के बाद जारी करते हैं डेटा
ईसी ने कहा कि नियमों की रूपरेखा पिछले 60 वर्षों से कायम है और किसी भी बदलाव के लिए ढांचे में संशोधन की आवश्यकता होगी. इसमें कहा गया है कि वह मतदान के दिन दो प्रेस विज्ञप्ति जारी करता है, जिसमें रात 11.45 बजे की एक विज्ञप्ति भी शामिल है, जिसमें अधिकांश मतदान दलों के लौटने में लगने वाले समय को ध्यान में रखा गया है. अगले दिन उम्मीदवारों की उपस्थिति में रिकॉर्ड की जांच की जाती है और वोटर टर्नआउट ऐप लाइव आधार पर डेटा को दर्शाता है.
प्रत्येक लोकसभा सीट पर 2,000 से 3,000 बूथ होने के कारण, मतदान दलों को ईवीएम स्ट्रांग रूम में लौटने में समय लगता है, जहां आमतौर पर निर्वाचन क्षेत्र का रिटर्निंग अधिकारी स्थित होता है. चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि सबको समान अवसर देने की अवधारणा के तहत प्रक्रिया के नियम समय रहते ही अमल में लाने चाहिए.