लोकसभा चुनावों में बार-बार हो रही आधी आबादी की बात, पर पहले चरण में कितनी महिला उम्मीदवार को मिला टिकट
लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की वकालत करती दिख रही थीं. वहीं, एडीआर के आंकड़ों में ये सभी बातें हवा हवाई साबित हुई हैं.
पिछले साल संसद ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का विधेयक पारित तो कर दिया, लेकिन राजनीतिक दल महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की जल्दी में नहीं दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के पहले चरण के लिए अब तक सिर्फ 8 फीसदी महिला उम्मीदवार ही मैदान में हैं.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में कुल 1,625 उम्मीदवारों में से 134 महिलाएं और 1,491 पुरुष उम्मीदवार हैं. सात चरणों का चुनाव 19 अप्रैल को होगा, जिसमें 21 राज्यों की 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. पहले चरण में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मिजोरम में सबसे ज्यादा 16 फीसदी महिला उम्मीदवारों हैं. पहले चरण में 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से छत्तीसगढ़ , जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, मणिपुर और त्रिपुरा में कोई महिला उम्मीदवार नहीं है.
वहीं, अगर 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो कुल 8,054 उम्मीदवारों में से 726 यानी 9 फीसदी महिलाएं थीं. चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि उनमें से 78 महिलाओं ने जीत दर्ज की, जबकि 575 की जमानत जब्त हो गई. दूसरी पार्टियों के मुकाबले टीएमसी ने सबसे ज्यादा 41 फीसद टिकट महिला उम्मीदवारों को दिया था.
इस बीच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने पहले चरण के 1,625 में से 1,618 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया है. इसमें पाया गया कि 16 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. इसमें से 25 फीसदी के पास 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है.
वहीं एडीआर के आंकड़ों में बताया गया है कि उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 4.51 करोड़ रुपये है. पहले चरण के चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे आरजेडी के सभी उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले है, जबकि बसपा 13 फीसद के साथ इस लिस्ट में सबसे पीछे है.