एग्जिट पोल्स के नतीजे हर बार सटीक नहीं होते हैं. उनमें आंकड़ों में बहुत झोल है. अगर आपको ऐसा नहीं लगता है तो आपको चुनावी विश्लेषक और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव की बातें सुन लेनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में एग्जिट पोल पर बहस होनी चाहिए लेकिन इन्हें अंतिम सत्य मान लेना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा है, 'एग्जिट पोल पर सावधानी रखें, ये जमीनी हकीकत नहीं है.'
योगेंद्र यादव ने एक इंटव्यू में दावा किया कि एग्जिट पोल के आकंड़े, कई बार गलत साबित हो चुके हैं. उन्होंने साल 2004 का जिक्र करते हुए कहा कि हमने अनुमान लगाया था कि अटल बिहारी की सरकार, बहुमत से बन जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. साल 2009 के लोकसभा चुनावों में ऐसा लगा कि यूपीए नहीं जीतेगी, यूपीए को क्लियर मैंडेट मिला. ऐसे में सिर्फ एग्जिट पोल्स के आंकड़े सच हों, ऐसा नहीं होता है. इस बार जिस तरह से अप्रत्याशित नतीजों के बारे में बताया कि मोदी सरकार 400 पार, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आया.
योगेंद्र यादव बताते हैं कि लोग आमतौर पर मतदान केंद्रों के बाहर आकर पूछते हैं कि आपने किसको वोट दिया. स्कूलों के बाहर वोटिंग के तत्काल बाद पूछते हैं. ऐसा व्यापक स्तर पर किया जाता है. आमतौर पर लोग बताते हैं, कुछ लोग गलत भी बताते हैं. एग्जिट पोल पर सवाल नहीं है, इसके काम करने के तरीके पर सवाल नहीं है लेकिन इस पर बहस होनी चाहिए. इसे सटीक नहीं माना जा सकता है.
योगेंद्र यादव ने अनुमान लगाया था कि बीजेपी 240 से 260 सीटों के बीच पर सिमटेगी. बीजेपी इससे भी कम सीटें अकेले हासिल करती नजर आ रही है. उनके बयानों के मुताबिक सच्चाई सामने आ रही है. इंडिया टुडे माय एक्सिस इंडिया के सर्वे में दावा किया गया था कि बीजेपी 400 से ज्यादा सीटें हासिल कर रही है.
ज्यादातर सर्वे ने कहा अब की बार बीजेपी 400 पार. हकीकत इससे कोसों दूर है. दावा किया गया कि बीजेपी अपने दम पर 370 सीटें हासिल करेगी. ऐसा नहीं हुआ. प्रशांत किशोर ने दावा किया कि बीजेपी 300 पार जाएगी, ऐसा भी नहीं हुआ. ऐसे में इन आंकड़ों को सटीक तो बिलकुल भी नहीं का जा सकता है.