2017 में चूके, 2019 में रूठे, यूपी के दो लड़कों ने 2024 में कर दिया कमाल!

उत्तर प्रदेश में सियासी खेला हो गया है. जिस राज्य की 80 की 80 सीटों को बीजेपी जीतने का दावा कर रही थी, वहीं की जनता ने खेला कर दिया. बीते एक दशक में बीजेपी का ऐसा ग्राफ गिरा है, जिसे सुनकर मोदी के प्रशंसकों को झटका लग जाएगा.

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यूपी के लड़कों ने कमाल किया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने ऐसा कमाल किया है कि नरेंद्र मोदी की सरकार ही डेंट होती नजर आ रही है. यूपी में उनकी सियासी जमीन ऐसे हिली है कि अब दोबारा, इतना बड़ा जनाधार पैदा कर पाने में दशक लग जाएं. यूपी में यह साफ हो गया कि राम मंदिर चुनावी मुद्दा नहीं है. न ही राम मंदिर की सियासत करने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जिस समर्थन की आस थी वो पूरी हुई.

नरेंद्र मोदी की गांरटी के आगे इंडिया ब्लॉक के चुनावी वादे भारी पड़ गए. दोपहर 12.35 तक यूपी में 42 सीटों पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का दबदबा है, वहीं है एनडीए गठबंधन 37 सीटों पर अटकी हुई है. ये आकंड़े इशारा कर रहे हैं कि इंडिया गठबंधन के दावे सिर्फ दावे नहीं थे. बीजेपी के नेता जो 400 पार सीटों का दावा ठोक रहे थे, वह महज हवा निकल गई.

खटाखट गिरती गईं बीजेपी की सीटें!

राहुल गांधी का खटाखट वाला बयान जमकर चर्चा में रहा था. उन्होंने कहा था, 'केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही हर माह पैसे दिए जाएंगे. 4 जुलाई को 8500 रुपये उनके एकाउंट जाएंगे. हर माह की पहली तारीख को इसके बाद खटाखट खटाखट अंदर.' राहुल गांधी के इस बयान का जमकर लोगों ने मजाक उड़ाया था. बीजेपी की जिस तरह से सीटें गिरी हैं, उसे देखकर लग रहा है कि खटाखट वाला दांव उल्टा पड़ गया है. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन बेअसर रहा था. 2019 से पहले ही यह गठबंधन टूट गया था. 2024 में जब इंडिया ब्लॉक के तौर पर कांग्रेस-सपा साथ आए तो खेला हो गया. पूरे यूपी की सियासी तस्वीर बदल गई.

कहां हुई बीजेपी से चूक?

यूपी के वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक और कांग्रेस नेता प्रमोद उपाध्याय का दावा है कि यूपी के लोग रोजगार मांग रहे थे. राम मंदिर का उनके मन में सम्मान था लेकिन यह चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया. यूपी में रोजगार, महंगाई, कर्जमाफी, भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा था. आवारा पशु चुनावी मुद्दा रहा लेकिन इस पर केंद्र ने ध्यान ही नहीं दिया. वे विपक्ष को हल्के में ले रहे थे. बीजेपी से सवर्ण तबका भी नाराज था. नरेंद्र मोदी बार-बार दावा कर रहे थे कि जान दे देंगे लेकिन ओबीसी आरक्षण खत्म नहीं करेंगे. उनका यह बयान बार-बार लोगों को खटक रहा था. उन्होंने ओबीसी वोटरों को भुनाने की कोशिश की लेकिन यूपी का मुस्लिम-यादव फॉर्मूला भी बीजेपी पर भारी पड़ गया. कई उम्मीदवारों का टिकट काटना भी बीजेपी के खिलाफ चला गया.