Lok Sabha Elections 2024: देश में आम चुनावों के नतीजे तेजी से आ रहे हैं जिसमे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन लगातार तीसरी बार सरकार बनाती नजर आ रही है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने चुनावों से पहले अबकी बार 400 पार के नारे को पार नहीं करती नजर आ रही है. इतना ही नहीं पिछले 2 आम चुनावों में अकेले बहुमत के आंकड़े को पार करने वाली भारतीय जनता पार्टी 250 से नीचे ही रहती नजर आ रही है.
इस बीच कुछ ऐसे नेता भी रहे जिन्होंने चुनाव से पहले दल बदलने का काम किया और अपनी मुख्य पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा. हालांकि मतगणना के बाद उनकी हालत ऐसी हो गई है कि न वो घर के रहे हैं और न ही घाट के रहे हैं. आइए एक नजर उन्हीं नेताओं पर डालते हैं-
पंजाब में कांग्रेस के पूर्व सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, आप के इकलौते सांसद सुशील कुमार रिंकू और पटियाला से कांग्रेस की पूर्व सांसद प्रणनीत कौर ने चुनाव से पहले अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने रवनीत सिंह बिट्टू को लुधियाना, सुशील कुमार रिंकू को जालंधर और प्रणनीत कौर को पटियाला से सियासी मैदान में उतारा गया.
वहीं नतीजों की बात करें तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना की सीट पर करीब 26 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग यहां पर जीत की रेस में सबसे आगे हैं. आम आदमी पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले सुशील कुमार रिंकू भी जालंधर की सीट से कांग्रेस के चरणजीत सिंह चन्नी से हारते नजर आ रहे हैं.
चरणजीत सिंह चन्नी इस सीट पर करीब एक लाख 75 हजार वोटों से आगे नजर आ रहे हैं. पटियाला की सीट पर दावेदारी पेश करने वाली प्रणनीत कौर को बेहद रोमांचक भिड़ंत देखने को मिल रही है लेकिन जीत की दावेदारी में वो तीसरे पायदान पर हैं. इस सीट पर जहां कांग्रेस के डॉ धर्मवीर गांधी करीब 15 हजार वोटों से सबसे आगे चल रहे हैं तो वहीं पर आप के दलबीर सिंह दूसरे पायदान पर हैं. 2021 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले कृपाशंकर सिंह को भी जौनपुर से मैदान में उतारा गया लेकिन उन्हें सपा के बाबू सिंह कुशवाहा करीब 60 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हारते नजर आ रहे हैं.
हरियाणा में बीजेपी और जननायक पार्टी का गठबंधन टूटा तो नवीन जिंदल, अशोक तंवर और रंजीत सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया. जिसके बाद नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र, अशोक तंवर को सिरसा और रंजीत सिंह को हिसार की लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया. हालांकि नतीजों में तीनों ही नेता कुछ खास कमाल नहीं कर पाए. कई राउंड तक पीछे चल रहे नवीन जिंदल खबर लिखे जाने तक 26 हजार वोटों से आगे थे, तो वहीं रणजीत सिंह कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश से करीब 50 हजार वोट पीछे चल रहे हैं. सिरसा से खड़े अशोक तंवर को तो कांग्रेस की शैलजा से करीब ढाई लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा है.
जहां एक तरफ दलबदलने वाले नेताओं की हालत खराब है तो वहीं कुछ ऐसे नेता भी हैं जिन्हें पार्टी बदलने का कोई फर्क नहीं पड़ा. ओडिसा में बीजू जनता दल से 6 बार के सांसद रहे भर्तुहरि महताब ने चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा और पार्टी ने भी उनके कटक से सियासी मैदान में उतारा.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने भी 2021 में बीजेपी का दामन थामा था और पार्टी ने 2024 के चुनाव में उन्हें पीलीभित से मैदान में उतारा. जहां भृतहरि महताब करीब 42 हजार वोटों से इस सीट पर जीत हासिल करते नजर आ रहे हैं तो वहीं जितिन प्रसाद पीलीभित से डेढ़ लाख वोटों से आगे चल रहे हैं.