Lok Sabha Elections 2024: आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सीमा पर एक पंचायत ऐसा भी है, जहां के मतदाता दोनों राज्यों में मतदान करते हैं. यानी एक ही वोटर दो-दो वोट कास्ट कर सकता है. खुद पंचायत के लोग बताते हैं कि वे दो राज्यों के दशकों पुराने संघर्ष के बीच फंसे हैं, लेकिन वे इसकी शिकायत भी नहीं करते. उनका कहना है कि उनके पास ये दुर्लभ विशेषाधिकार है कि वे दो राज्यों में वोट कास्ट कर सकते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सीमा पर बसे कोटिया पंचायत की. ये पंचायत आदिवासी बहुल इलाका है. यहां के करीब 21 गांवों में 2500 से अधिक वोटर्स के पास दोनों राज्यों के वोटर कार्ड, राशन कार्ड और पेंशन कार्ड हैं. इनका पंचायत ओडिशा के कोरापुट लोकसभा में भी आता है और आंध्र प्रदेश के अराकू लोकसभा सीट के अंतर्गत भी आता है.
1968 में ओडिशा ने कोटिया पंचायत पर दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अंतरराज्यीय सीमा मुद्दे उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं और इस मामले का केवल संसद की ओर से ही हल निकाला जा सकता है. कोर्ट के इस फैसले के बाद दोनों में से किसी भी राज्य को कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया गया.
दोहरे वोटिंग अधिकार के बारे में पूछे जाने पर आंध्र के CEO (मुख्य चुनाव आयुक्त) मुकेश कुमार मीना ने कहा कि एक व्यक्ति एक स्थान पर केवल एक ही वोट डाल सकता है. दो राज्यों में नामांकन है, तो फिर ये अवैध है. किसी को दूसरे राज्य में वोटिंग से पहले अपने राज्य के वोटिंग रजिस्ट्रेशन को रद्द कराना चाहिए.
मुख्य चुनाव आयुक्त की बातों पर गौर किया जाए तो सवाल खड़ा होता है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में कोटिया पंचायत के लोग आखिर किस लोकसभा सीट के लिए मतदान करेंगे, क्योंकि अराकू और कोरापुट दोनों लोकसभा सीटों पर 13 मई को वोटिंग होनी है.
इस सवाल के जवाब को जानने और वोटर्स के मूड को भांपने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस कोटिया पंचायत का दौरा किया. इस दौरान पता चला कि आंध्र का दावा है कि ये पंचायत उसके पार्वतीपुरम मन्यम जिले में आता है, जबकि ओडिशा का दावा है कि ये कोरापुट जिले का हिस्सा है. इस संबंध में दोनों राज्यों की ओर से भूमि सर्वेक्षण, रिकॉर्ड और विभिन्न प्रकार के सबूत पेश किए जाते हैं. हालांकि, दोनों राज्यों के दावों के बीच फायदा पंचायत के लोगों का ही है.
ओडिशा ने गांव को मुख्य पंचायत कोटिया से जोड़ने वाली कंक्रीट सड़कों के साथ अपनी उपस्थिति मजबूत करने की कोशिश की है. ओडिशा सरकार की ओर से पंचायत में स्कूल, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक भारतीय रिजर्व बटालियन चौकी भी स्थापित की गई है. वहीं, आंध्र प्रदेश की ओर से कल्याणकारी योजनाओं के जरिए पंचायत को वित्तीय सहायता मिलती रहती है.
गांव के लोगों से पूछा गया कि वे इस बार के लोकसभा चुनाव में कहां वोट कास्ट करेंगे, तो 21 गांवों में से दो नेरल्लावलसा और थादिवलसा के लोगों ने आंध्र प्रदेश में वोट डालने की बात कही. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश उनके गांव में अधिक कल्याणकारी योजनाएं पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि ओडिशा में 500 रुपये की तुलना में आंध्र 3,000 रुपये की मासिक कल्याण पेंशन मिलता है.
कोटिया पंचायत में कोंडा डोरा, मूका डोरा, गदाबा और जटापु समुदायों के आदिवासी रहते हैं. कुछ लोग तेलुगु तो कुछ उड़िया में बातचीत करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग 'कुई' बोली बोलते हैं. नेरेल्लावलसा गांव की 60 साल की वंथला सना ने कहा कि विवाद केवल राज्यों के बीच है, लोगों के बीच नहीं. हमें आंध्र से अधिक लाभ मिलता है, इसलिए मैं आंध्र के एक बूथ पर मतदान करूंगी. अभि गेमेल, जो दोनों राज्यों से लाभ लेते हैं, उन्होंने कहा कि मैं ओडिशा का समर्थन करूंगा, क्योंकि मेरी संस्कृति कोरापुट के आदिवासियों के करीब है.