Ajmer Lok Sabha Seat: राजस्थान का अजमेर शहर कई मायने में खास है. यहां हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध दरगाह है पुष्कर में ब्रह्मा का प्रसिद्ध मंदिर भी अजमेर लोकसभा क्षेत्र में आता है. राजनीतिक लिहाज से भी अजमेर लोकसभा क्षेत्र खास है. इसकी खासियत यह है कि अजमेरक किसी राजनीतिक दल का गढ़ नहीं है. अजमेर सीट पर भी कांग्रेस रामचंद्र चौधरी को टिकट देकर यहां मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. क्योंकि इसके पहले बीजेपी ने यहां से दूसरी बार भागीरथ चौधरी को टिकट दियाता था.
दोनों दलों के उम्मीदवारों के मैदान में आने के बाद अजमेर सीट पर चौधरी vs चौधरी का मुकाबला हो गया है. अजमेर का एक रिकार्ड रहा है कि यहां की जनता हर बार सांसद बदल देती है. यानी यहां पर बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी उम्मीदवार जीतता है. आज मोदी मोदी ने अजमेर के पुष्कर में एक चुनावी रैली को संबोधित किया. अब देखना है कि अजमेर की जनता इस बार किसको चुनकर संसद में भेजती है.
अजमेर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, दूदू, मसूदा, नसीराबाद, पुष्कर, केकड़ी सीट पर भाजपा के विधायक हैं, जबकि किशनगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. किशनगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन भागीरथ चुनाव हार गए. अजमेर में नमक का व्यापार होता है जो सांभर झील से लाया जाता है. 1951 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था.
अजमेर में 1952 में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ था. अजमेर लोकसभा सीट पर 1989 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. हालांकि छठी लोकसभा में 1977 में इस सीट से जनता पार्टी के श्रीकरण शारदा संसद जरूर पहुंचे थे. इसके बाद 1989 से लेकर लगातार तीन चुनावों में 1998 तक बीजेपी के रासा सिंह रावत को यहां से जीत मिली. इसके बाद 12वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस की डॉ. प्रभा ठाकुर ने जीत दर्ज की. हालांकि एक साल बाद 1999 में हुए चुनाव में बीजेपी के रासा सिंह रावत ने फिर से वापसी की और लगातार दो चुनावों में अजमेर लोकसभा सीट पर कमल खिलाया.
इसके बाद 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन अजमेर सीट पर बीजेपी के रासा सिंह की जीत हुई. हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट बेटे सचिन पायलट ने करीब 76 हजार वोटों से चुनाव जीतकर यह सीट कांग्रेस के खाते में डाल दी. इसके बाद सचिन को 15वीं लोकसभा के मंत्रिमंडल में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी बने. लेकिन 2014 के चुनाव में अजमेर की सीट फिर से बीजेपी के पास चली गई और सांवर लाल जाट यहां से सांसद बने. हालांकि 2017 में सांवर लाल के निधन के बाद कांग्रेस ने उपचुनाव में रघु शर्मा को उतारा और सीट पर कब्जा जमा लिया.
अजमेर लोकसभा सीट जाट बाहुल्य सीट है. यहां पर गुर्जर, ब्राह्मण, रावत, मुस्लिम, एससी वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है. यहां जातिगच वोट बैंक के आधार पर ही उम्मीदवारों को टिकट मिलती है. इस बार यहां पर मुकाबला जाट vs जाट हो है. अजमेर जिले में 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता हैं. 9 लाख 45 हजार पुरुष और 9 लाख 15 हजार महिला मतदाता हैं. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की दृष्टि से देखें तो 2 से सवा 2 लाख मतदाता औसत हर विधानसभा क्षेत्र में हैं. जातिगत आधार पर दो से ढाई लाख जाट, दो लाख रावत, डेढ़ लाख राजपूत, डेढ़ लाख गुर्जर, सवा लाख ब्राह्मण, सवा लाख वैश्य, ढाई लाख एससी व एसटी, दो लाख मुस्लिम, दो लाख ओबीसी, पचास हजार इसाई, सत्तर हजार सिंधी, इतने ही करीब माली मतदाता हैं.
कार्यकाल सांसद का नाम राजनीतिक दल
1952-57 ज्वाला प्रसाद शर्मा कांग्रेस
1957-62 मुकत बिहारी लाल भार्गव कांग्रेस
1962-67 मुकत बिहारी लाल भार्गव कांग्रेस
1967-71 बीएन भार्गव कांग्रेस
1971-77 बीएन भार्गव कांग्रेस
1977-80 श्रीकरण शारदा जनता पार्टी
1980-84 भगवन देव आचार्य कांग्रेस
1984-89 विष्णु कुमार मोदी कांग्रेस
1989-91 रासासिंह रावत बीजेपी
1991-96 रासासिंह रावत बीजेपी
1996-98 रासासिंह रावत बीजेपी
1998-99 डॉ. प्रभा ठाकुर कांग्रेस
1999-04 रासासिंह रावत बीजेपी
2004-2009 रासासिंह रावत बीजेपी
2009-2014 सचिन पायलट कांग्रेस
अजमेर सीट किसी पार्टी का गढ़ नहीं है. 2014 में बीजेपी के सांवर लाल जाट ने जीत हासिल की. वहीं 2018 के उपचुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा जीते. फिर 2019 में भागीरथ चौधरी ने जीत हासिल की. ऐसे में अजमेर न तो बीजेपी का गढ़ है और न ही कांग्रेस का गढ़ है.