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खुल गया राज! आखिर क्यों कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ भाजपा में होते हैं शामिल?

Lok Sabha Elections 2024: विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव... इलेक्शन के ठीक पहले नेताओं के पार्टियों के बदलने का सिलसिला शुरू हो जाता है. भाजपा के नेता कांग्रेस में जाते हैं, तो कभी कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल होते हैं. इनके अलावा, अन्य पार्टियों के नेता भी दूसरी पार्टियों में शामिल होते हैं, लेकिन सवाल खड़ा होता है कि आखिर ये ऐसा क्यों करते हैं? इस सवाल के जवाब का अंदाजा झारखंड कांग्रेस के एक नेता के बयान से लगाया जा सकता है.

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Edited By: India Daily Live
Lohardaga Lok Sabha Seat India Alliance Candidate Sukhdev Bhagat on BJP Joining Strategy

Lok Sabha Elections 2024: करीब 20 सालों का राजनीतिक करियर... दो बार विधायक और झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभाल चुके सुखदेव भगत एक बार फिर चर्चा में हैं. INDIA गठबंधन की ओर से लोहरदगा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार सुखदेव भगत ने 2019 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने की वजह का खुलासा किया है. दैनिक भास्कर से बातचीत में सुखदेव भगत ने भाजपा में शामिल होने के फैसले को रणनीति का हिस्सा बताया. साथ ही दावा किया कि वर्तमान में झारखंड में जो सरकार चल रही है, उसे बनाने में उनका भी कुछ परसेंट हाथ है. हालांकि, जब इस बारे में विस्तार से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ये राज है और इसे राज ही रहने दिया जाए.

सुखदेव भगत के जवाब से अंदाजा लगाया जा सकता है और कहा जा सकता है कि चुनावी मौसम में पार्टी बदलने के खेल के पीछे नेताओं की रणनीति होती है. अब ये कितना सच है, ये तो पार्टी बदलने वाले नेता ही जाने. लेकिन सुखदेव भगत ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने और फिर भाजपा छोड़ कांग्रेस में वापसी से जुड़े सवाल का बड़ा चौंकाने वाला जवाब दिया है.

किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे सुखदेव भगत?

INDIA गठबंधन के प्रत्याशी सुखदेव भगत ने बताया कि वे संविधान बचाने, लोकतंत्र को बचाने के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान केंद्र की मोदी सरकार को तानाशाह करार दिया. राम मंदिर, धारा 370, ट्रिपल तलाक से जुड़े सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि ये कोई मुद्दा नहीं है. असर मुद्दा गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई है. इसके अलावा, महिलाओं और किसानों से जुड़े मुद्दे भी हैं, जिन पर चुनाव लड़ा जाना चाहिए.

सुखदेव भगत ने कहा कि किसानों का मुद्दा भी बड़ा है, क्योंकि हर कोई बचपन से पढ़ता और सुनता आ रहा है कि भारत कृषि प्रधान देश है. लेकिन हो क्या रहा है. MSP के मुद्दे पर किसानों पर फायरिंग की जाती है. लोकतंत्र का जो स्वरूप है, उसे खत्म किया जा रहा है.

कौन हैं लोहरदगा लोकसभा प्रत्याशी सुखदेव भगत?

63 साल के सुखदेव भगत के पिता गंद्धर्व भगत फ्रीडम फाइटर थे. उनकी स्कूलिंग नेतरहाट आवासीय विद्यालय से हुई है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन और एमफिल किया है. कॉलेज की पढ़ाई के बाद सुखदेव भगत बैंक में अधिकारी बने. फिर बिहार में प्रशासनिक सेवा में भी तैनात रहे. साल 2000 में बिहार से अलग झारखंड राज्य बनने के करीब 5 साल बाद यानी 2005 में उन्होंने डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया. 

डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद सुखदेव भगत कांग्रेस में शामिल हुए और 2005 में ही भाजपा के कैंडिडेट के खिलाफ चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. उन्होंने 2005 में झारखंड सरकार में मंत्री रहे सधनू भगत को हराया था. 

सुखदेव भगत झारखंड कांग्रेस में अध्यक्ष से लेकर कई अन्य पदों पर काम कर चुके हैं. अक्टूबर 2019 में सुखदेव भगत भाजपा में शामिल हुए थे. इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के रामेश्वर उरांव से हार का सामना करना पड़ा. करीब 3 साल बाद यानी 2022 में वे एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. लोहरदगा सीट पर सुखदेव भगत का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव से है.

कितनी संपत्ति के मालिक हैं सुखदेव भगत?

चुनावी हलफनामे के मुताबिक, सुखदेव भगत की कुल संपत्ति 2.28 करोड़ है. उन पर 39 लाख रुपये का कर्ज भी है.