बिहार में 'हनुमान v/s राम', रामविलास के गढ़ हाजीपुर में लालू की जातीय गोलबंदी; जानिए समीकरण

Lok Sabha Chunav 2024: बिहार की राजनीति में जातियों की लड़ाई आम है. कुछ सीटों पर तो चुनाव इसी आधार पर होते हैं. इसी में से एक है हाजीपुर सीट जहां से रामविलास पासवान खुद को पीएम मोदी का हनुमान बता रहे हैं जो लालू प्रसाद यादव के राम कहे जाने वाले शिवचंद्र से लड़ रहे हैं.

Lalu Yadav Ram Vilas Paswan

Lok Sabha Chunav: देश में लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है. 20 मई को पांचवें चरण की वोटिंग है. इससे पहले नेता छठवें चरण के लिए प्रचार कर रहे हैं. सियासत में जब जातियों की बात होती है तो सबसे पहले बिहार का नाम लिया जाता है. इसी कारण यहां के बड़े-बड़े नेता भी जातियों के दम पर हुंकार भरते हैं. इन्हीं जातीय समीकरण के कारण हाजीपुर की लड़ाई 'हनुमान v/s राम' पर पहुंच गई है.

हाजीपुर से खुद को PM मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान और लालू का राम कहने वाले शिवचंद्र आमने सामने हैं. अनके ऊपर पिता के उत्तराधिकारी होने की जिम्मेदारी है. वहीं उनके सामने चुनाव लड़ रहे राजद उम्मीदवार शिवचंद्र के सामने विपक्ष को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है.

चिराग के पास राजनीतिक विरासत

2014 और 2019 में, चिराग अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट जमुई से चुने गए. हालांकि, इस बार, वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत पर दावा करने के लिए हाजीपुर पहुंचे. यहां चाचा पशुपति पारस का सपोर्ट न मिलने के कारण वो कठिन लड़ाई से सामना कर रहे हैं. हालांकि, उन्हें BJP के नाम और दलितों का का समर्थन मिलने की उम्मीद है.

लालू की सेंधमारी

चिराग के खिलाफ RJD ने अपने पुराने तीन चुनाव हारने वाले शिवचंद्र राम पर दांव खेला है. इसके पीछे उनकी बड़ी जातीय गोलबंदी है. यहां से लालू यादव यहां अपने कोर वोट बैंक यादव, मुस्लिम के साथ ही शिवचंद्र राम के बहाने दलित वोट बैंक को साथ रहे हैं. क्योंकि, दलित चिराग को कोर वोट बैंक है. उन्हें उम्मीद है कि पासवान के अलावा अन्य दलित उनके साथ आएंगे.

राम विलास का है दबदबा

हाजीपुर पर रामविलास पासवान का दबदबा रहा है. उन्होंने यहां से रिकॉर्ड आठ बार प्रतिनिधित्व किया था. 1977 में वो 4.2 लाख से अधिक वोटों से जीत कर सुर्खियों में आए थे. इसके बाद उन्होंने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया. अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वह हाजीपुर में केवल दो बार  1984 और 2009 में चुनाव हारे थे.

जातीय समीकरण

बिहार जाति सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार 5.3% दुसाध समुदाय पर चिराग दावा कर रहे हैं. वहीं, कुल मतदाताओं में 4.21% हिस्सेदारी वाले कुशवाहा (कोइरी) और पासवान उनके लिए आश हैं. वहीं नीतीश कुमार के प्रचार के कारण कोइरी-कुर्मी चिराग के चिराग के साथ आने की उम्मीद है. इनमें से मुख्य लड़ाई दलितों के वोटों को हासिल करने की है.