Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव को लेकर देश भर में इन दिनों जाति, धर्म और जनगणना की गारंटी जैसे तमाम मुद्दों पर बात हो रही है. सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से इन दिनों वोटर्स को साधने के लिए एक से बढ़कर एक गारंटी दी जा रही है. सत्ता पक्ष सत्ता में बने रहने के लिए जनता को गारंटी दे रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष मोदी लहर को रोकने के लिए आए दिन गारंटी जारी कर रही है.
इन सब के बीच अब बड़ा सवाल है कि क्या जाति, धर्म और जनगणना की गारंटी से विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी लहर को रोकने में कामयाब होगी. दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की ओर से जनता को इस तरह की गारंटी दी जा रही है. विपक्ष की कोशिश है कि वह इन गारंटी के जरिए वोटर्स को साधे और फिर सत्ता में वापसी करें.
लोकसभा चुनाव की तारीखों के कई महीने पहले से ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से देश भर में जातिगत जनगणना कराने की बात कही गई है. इस कड़ी में कर्नाटक सबसे आगे है. एक रिपोर्ट जिस पर जयप्रकाश हेगड़े की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया था, उसे सिद्धारमैया सरकार ने स्वीकार कर लिया है. हालांकि, उन्होंने अभी तक इसकी सिफारिशें लागू नहीं की है. बता दें, जयप्रकाश हेगड़े कर्नाटक के उडुपी-चिकमंगलूर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं.
लोकसभा चुनाव में ओबीसी की अगर हम बात करें तो अगर सिद्धारमैया कांग्रेस की ओर से प्रमुख चेहरा हैं तो बीजेपी की ओर से पीएम मोदी को ओबीसी चेहरे के रूप में पेश की जा रही है.
पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री शिवराज तंगदागी ने कहा कि हमारी सरकार ने रिपोर्ट को स्वीकार करके वह किया है जो पहले किसी ने नहीं किया था. सरकार के इस कदम से न केवल पिछड़े समुदायों को बल्कि पार्टी भी अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेगी. उन्होंने कहा कि इसे लागू करते समय अन्य समुदायों की चिंताओं का भी ध्यान रखा जाएगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने दोहराया है कि कर्नाटक में अपने अभियानों के दौरान बीजेपी ओबीसी के साथ थी. यहां उनका संदर्भ पीएम मोदी से था.
पीएम मोदी ने 5 फरवरी को संसद में कहा था कि कांग्रेस अत्यंत पिछड़े वर्ग के नेताओं को बर्दाश्त नहीं करती थी. कांग्रेस ने कर्पूरी ठाकुर को विपक्ष का नेता मानने से इनकार कर दिया था, जिन्हें हमने कुछ दिन पहले भारत रत्न से सम्मानित किया था. इन दिनों, कांग्रेस के सहयोगी सरकार में पिछड़े वर्ग के लोगों की संख्या और उनकी स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं. लेकिन मुझे आश्चर्य है कि उन्हें सबसे बड़े ओबीसी (खुद का जिक्र) पर ध्यान नहीं है. पीएम मोदी खुद को सबसे बड़े ओबीसी के रूप में संदर्भित करते हुए राहुल गांधी के उस दावे को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पीएम की तेली जाति अन्य पिछड़ा वर्ग का हिस्सा नहीं है.
साल 2015 में सिद्धारमैया ने सामाजिक-आर्थिक शैक्षिक सर्वेक्षण करने के लिए एच कंथाराजू आयोग की स्थापना की थी. इसे आमतौर पर जाति जनगणना कहा जाता है. हालांकि, सिद्धारमैया का कार्यकाल रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले ही खत्म हो गया था. इसके बाद लीक हुई सामग्री ने वोक्कालिगा और लिंगायतों के बीच नाराजगी पैदा कर दी. इसके बाद सरकार ने रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया क्योंकि सदस्य सचिव ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. इसने जयप्रकाश हेगड़े आयोग को प्रेरित किया, जिसने कंथाराजू पैनल के डेटा का उपयोग करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है.