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Karakat Lok Sabha: काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा को रिटायर करवा देंगे पवन सिंह? 'पावर' दिखाकर मचाया हंगामा

Pawan Singh Karakat: भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के चुनाव में उतरने से बिहार की काराकाट लोकसभा सीट अचानक से चर्चा का केंद्र बन गई है.

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Edited By: India Daily Live
karakat Lok Sabha
Courtesy: India Daily Live

बिहार की काराकाट लोकसभा सीट अचानक से प्रदेश की सबसे चर्चित सीट बन गई है. पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से टिकट पाने वाले पवन सिंह अब इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की एंट्री ने न सिर्फ NDA उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा की नींद हराम कर दी है बल्कि पूरे बिहार में हल्ला मचा दिया है. पवन सिंह ने अभी सिर्फ एक बार रोडशो किया है और उनको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं. इस बार काराकाट सीट से NDA गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रहे उपेंद्र कुशवाहा की चिंताएं एक बार फिर से बढ़ गई हैं.

साल 2009 में अस्तित्व में आया काराकाट लोकसभा क्षेत्र पहले बिक्रमगंज के नाम से जाना जाता था. चावल उत्पादन के लिए मशहूर काराकाट में रोहतास जिले की तीन और औरंगाबाद जिले की तीन विधानसभा सीटें आती हैं. लोकसभा सीट से 2014 में सांसद रह चुके उपेंद्र कुशवाहा NDA में रहते हुए अपने लिए यह सीट ले पाने के बाद अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रहे थे. अचानक पवन सिंह की एंट्री ने समीकरणों को नए सिरे से लिखना शुरू कर दिया है.

क्या है काराकाट का गणित?

2009 में बनी इस सीट से दो बार जेडीयू के महाबली कुशवाहा तो एक बार उपेंद्र कुशवाहा चुनाव जीते हैं. इस बार लड़ाई त्रिकोणीय नजर आ रही है. एनडीए गठबंधन से अपनी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के खाते में यह सीट लेने के बाद आश्वस्त नजर आ रहे उपेंद्र कुशवाहा अब फंसे हुए नजर आने लगे हैं. इंडिया गठबंधन की ओर से यह सीट सीपीआई एम एल के खाते में गई है और उसने यहां से राजाराम सिंह कुशवाहा को चुनाव में उतारा है. 

पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट की 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर आरजेडी और एक पर सीपीआई माले को जीत मिली थी. इस सीट पर सबसे ज्यादा यादव जाति के वोटर लगभग 3 लाख हैं. कुशवाहा और कुर्मी जाति के वोटर लगभग ढाई लाख और मुस्लिम वोटर लगभग डेढ़ लाख हैं. 2 लाख राजपूत वोटरों के चलते पवन सिंह के हौसले बुलंद हैं. इनके अलावा, 2 लाख वैश्य, 75 हजार ब्राह्मण वोटर भी हैं और भूमिहार 50 हजार हैं. 

कितना असर डालेंगे पवन सिंह?

इस बार वैसे तो चुनाव में दो पक्ष स्पष्ट नजर आ रहे हैं. बिहार में कांग्रेस, लेफ्ट, वीआईपी और आरजेडी का गठबंधन भी एकदम स्पष्ट नजर आ रहा है. दूसरी तरफ, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन भी एकदम सधा हुआ है. ऐसे में बिहार की की सीटें ऐसी हैं जहां कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. इस कांटे की टक्कर में पवन सिंह और पप्पू यादव जैसे निर्दलीय उम्मीदवार कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ भी रहे हैं.

पवन सिंह भोजपुरी सुपरस्टार होने के साथ खूब मशहूर हैं. काराकाट के ही निवासी होने के चलते उन पर बाहरी होने का ठप्पा भी नहीं है. उनकी जाति भी यहां के समीकरणों के हिसाब से फिट बैठ रही है. उनका एक ही निगेटिव प्वाइंट है कि ओबीसी और अन्य जातियों का वोट खींचने के लिए उनके पास वैसे लोग या किसी पार्टी का समर्थन नहीं है. हालांकि, इसे वह अपनी लोकप्रियता से पार पा सकते हैं.