कश्मीर में कैसे बिखरा गुपकार अलायंस, चुनाव से पहले बंटे फिरके, कैसे पड़ी दरार?

Gupkar Alliance: लगता है गुपकार अलायंस अब बीते जमाने की बात हो गई हो. जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव पर ब्रेक लगाने के लिए पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेस, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने एक गठबंधन बनाया, जिसे गुपकार अलायंस का नाम दिया गया. लेकिन विधानसभा तो दूर लोकसभा चुनाव में ही इस गठबंधन का अस्तित्व खत्म होता दिख रहा है.

Gupkar Alliance
Raman Saini

Gupkar Alliance: कहते हैं राजनीति में ना कुछ स्थाई होता है और ना कुछ अस्थाई ना कोई परमानेंट दोस्त होता है और ना कोई परमानेंट दुश्मन. जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A खत्म करने के बाद पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस समेत अन्य गैर एनडीए दलों ने एक गठजोड़ किया जिसे  गुपकार अलायंस का नाम दिया. जम्मू-कश्मीर की सभी विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर 20 अक्टूबर 2020 को गुपकार गठबंधन का निर्माण किया था.

इस अलायंस का मकसद था जम्मू कश्मीर को वापस धारा 370 दिलाना. इसके लिए सभी पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने कसमें खाई और वादे भी किए. जम्मू कश्मीर की भलाई के लिए वह एकजुट होकर भविष्य में काम करने और चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया. लेकिन विधानसभा तो अभी दूर है लोकसभा चुनाव के आते-आते ही इस गठबंधन पूरी तरह से अपना वजूद खो बैठा.

बीजेपी से मुकाबले के लिए बना था गुपकार अलायंस

गुपकार गठबंधन के वजूद में आने के 1 साल के भीतर ही कई राजनीतिक पार्टियों ने इस गठबंधन से धीरे-धीरे अपना किनारा कर लिया. बच्चा कुछ काम लोकसभा चुनाव से पहले नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी में फुट के बाद पूरा हो गया. सबसे पहले जम्मू कश्मीर पीपल कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने 19 जनवरी 2021 को गुपकार गठबंधन से अपने आप को अलग कर लिया. उसके बाद 2022 में जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के अध्यक्ष जावेद मुस्तफा मीर ने भी उपकार गठबंधन से किनारा कर लिया.

पीडीपी-एनसी में सीटों पर विवाद

दरअसल गुपकार अलायंस के बाद कश्मीर घाटी में भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने के लिए इंडिया ब्लॉक के तहत कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी तीनों पार्टियों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस के एक कदम ने इंडिया ब्लॉक के साथ-साथ गुपकार गठबंधन को भी खटाई में डाल दिया. जब नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने फैसला किया कि कश्मीर घाटी की तीनों लोक सभा सीट पर वह अपने उम्मीदवार उतरेंगे और इन लोकसभा सीटों पर पीडीपी का कोई वजूद दिखाई नहीं दे रहा है.

नाराज हो गई महबूबा

इस फैसले से पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने नाराजगी और अफसोस जताते हुए, नेशनल कांफ्रेंस के सामने कश्मीर की तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया. जिससे रही सही गुपकार अलायंस का वजूद भी खत्म होता हुआ नजर आ रहा है.

विधानसभा चुनाव के वक्त क्या होगा ?

जब लोकसभा चुनाव में गुपकार अलायंस का यह हाल है तो आप सोचिए कि जब विधानसभा चुनाव जम्मू कश्मीर में होंगे तब सत्ता हासिल करने के लिए यह पार्टियों गुपकार अलायंस जैसे गठबंधन को एक साइट पर रखते हुए पूरी तरीके से एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरेंगे.