आम आदमी पार्टी (AAP) के सासंद संजय सिंह बुधवार को तिहाड़ जेल से रिहा हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था, इस वजह से उन्हें जमानत मिली है. उनकी रिहाई के बाद से ही AAP नेताओं का एक धड़ा बेहद उत्साहित है. ऐसे वक्त में जब चुनाव बेहद नजदीक हैं, पार्टी की टॉप लीडरशिप जेल में हैं, तब संजय सिंह के बाहर आने से पार्टी को नई दिशा मिल सकती है.
संजय सिंह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के धुर आलोचक रहे हैं. उन्होंने अयोध्या से लेकर दिल्ली तक में सत्तारूढ़ मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी थीं. अयोध्या में कथित भूमि घोटाले का मुद्दा भी उन्होंने उठाया था. संजय सिंह पार्टी के लोकप्रिय नेता हैं और अहम रणनीतिक फैसलों में हमेशा शामिल रहते हैं.
उनकी कद का कोई नेता, आम आदमी पार्टी ने अभी आजाद नहीं है. मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल जेल में हैं. सुनीता केजरीवाल जेल में बंद केजरीवाल की आंख बनी हुई हैं. अगर संजय सिंह जेल से बाहर आते हैं तो अब पार्टी की कमान वे संभाल सकते हैं. कोर्ट ने उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है.
सियासी महाभारत में कितने अहम हैं अरविंद केजरीवाल के 'संजय'
विपक्ष ईडी के एक्शन को लेकर केंद्र को घेरता है. संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से हिदायत मिली है कि जमानत के दौरान के किसी भी तरह के ऐसे बयान नहीं देंगे जो ईडी के खिलाफ हो. अब संजय सिंह इस मामले में ईडी को नहीं घेर सकते हैं. संजय सिंह को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा. वे देश से बाहर नहीं जा सकते हैं. हालांकि चुनावी माहौल में वे चुनाव प्रचार कर सकेंगे.
संजय सिंह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. ऐसे मुश्किल वक्त में अब उन्हें अरविंद केजरीवाल की 'आंख' बनकर चुनावी समर में उतरना होगा. वे जेल में कैद अरविंद केजरीवाल को देश के सियासी हलचल की खबर भी बता सकते हैं, उनकी रणनीतियों को लागू भी करा सकते हैं.
बाहर रहकर केजरीवाल का विजन मजबूत करेंगे संजय सिंह
संजय सिंह हर मुश्किल वक्त में आगे बढ़कर आंदोलन करते रहे हैं. उनकी गिनती जुझारू नेताओं में होती है. ऐसे वक्त में जब राघव चड्ढा देश से बाहर हैं, आतिशी सरकार संभाल रही हैं, तब सक्रिय होकर राजनीतिक आवाज बुलंद करने की जिम्मेदारी संजय सिंह के पास है.
कार्यकर्ताओं को एकजुट कर सकते हैं संजय सिंह
आतिशी, कार्यकर्ताओं के बीच उतनी लोकप्रिय नहीं हैं, जितनी लोकप्रियता संजय सिंह की है. उनका एक मजबूत कैडर बेस है, जिन्हें भुनाना संजय सिंह बाखूबी जानते हैं. अब वे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लेकर जमीन पर उतर सकते हैं. जनसभा और रैलियों के जरिए केंद्र पर हमला बोल सकते हैं.
अब अपने नाम का सही इस्तेमाल करेंगे संजय
आम आदमी पार्टी भी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है. ऐसे में अब गठबंधन दलों के साथ मिलकर वे चुनावी रणनीति तैयार कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के जेल में होने की वजह से अब पार्टी में सबसे बड़े कद के नेता वही बचे हैं. AAP को उनसे बहुत उम्मीदे हैं. संजय सिंह अभी ILBS में भर्ती हैं, वह जल्द ही बाहर आकर चुनावी कमान संभाल सकते हैं.
क्या सियासत के संजय बन सकेंगे संजय सिंह?
पौराणिक कथाओं में महाभारत युद्ध के दौरान अंधे धृतराष्ट्र की संजय आंख बने थे. उन्होंने महाभारत की पूरी कथा धृतराष्ट्र को सुनाई थी. तब संजय खुद युद्ध नहीं लड़ रहे थे. संजय सिंह खुद युद्ध में है और ये धर्मक्षेत्र नहीं, चुनावी क्षेत्र है. यहां उन्हें कथा नहीं सुनानी है, अपनी पार्टी के लिए जमीन तैयार करनी है. देखने वाली बात होगी कि संजय सिंह अपने नाम को चरितार्थ कर पाते हैं या नहीं.