भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का दावा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह गठजोड़, 400 से ज्यादा लोकसभा सीटें हासिल करेगा. हर चुनावी सभा में बीजेपी और सहयोगी दलों के नेता यह दावा कर रहे हैं. बीजेपी ने ऐसा लक्ष्य रखा है, जिसके पक्ष में आंकड़े अभी जाते नजर नहीं आ रहे हैं. उत्तर भारत में तो बीजेपी का दबदबा है लेकिन दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी के पास जो राज्य था, वह भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास चला.
दक्षिण का इकलौता राज्य कर्नाटक, भारतीय जनता पार्टी साल 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में गंवा चुकी है. कर्नाटक अब कांग्रेसमय है. एक तरफ जहां बीजेपी दक्षिण में पांव जमाने की कोशिश कर रही है, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक ऐसा दावा किया है, जो बीजेपी को बेहद रास आने वाली है.
प्रशांत किशोर का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी दक्षिण और पूर्व में शानदार प्रदर्शन कर कती है. बीजेपी का वोट शेयर दोनों दिशाओं में बढ़ सकता है. हो सकता है इसकी मदद से बीजेपी 300 सीटों पर जीत हासिल कर ले और केंद्र में बहुमत से सरकार बनाए.
कैसे 400 पार करेगी बीजेपी?
हिंदी हार्टलैंड के ही भरोसे बीजेपी 400 तो पार नहीं कर सकती है. दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं, यूपी में 80 सीटें हैं, उत्तराखंड में 5, बिहार में 40, झारखंड में 14, हरियाणा में 10, मध्य प्रदेश में 29, छत्तीसगढ़ में 11और राजस्थान में 25 सीटे हैं. इन राज्यों में कुल 221 सीटे हैं. सिर्फ इन्हीं के भरोसे बीजेपी का बेड़ा पार होने से रहा. अगर जीत की प्रतिशतता इन राज्यों में 100 फीसदी भी रहे तो भी बीजेपी सिर्फ यहां के भरोसे सत्ता में नहीं आ सकती.
प्रशांत किशोर के दावे को सच मानें तो बीजेपी को दक्षिण में भी बढ़त मिल सकती है. दक्षिण भारत में करीब 129 लोकसभा सीटें हैं. बीजेपी इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. नरेंद्र मोदी दक्षिण भारत का एक के बाद एक कई दौरा कर चुके हैं. बीजेपी मोदी मैजिक के ही भरोसे है.
दक्षिण भारत में क्या आंकड़े बीजेपी के पक्ष में हैं?
दक्षिण भारत में बीजेपी जोर आजमाइश कर रही है. कर्नाटक से तमिलनाडु तक, बीजेपी के पक्ष में आंकड़े नहीं हैं. केरल में बीजेपी पहले से बुरी हालत में है. न एक भी सीट है, न ही कोई प्रमुख चेहरा. 10 फीसदी से ज्यादा वोट तो बीजेपी साल 2019 में हासिल कर ले गई थी लेकिन सीटें जीरो की जीरो ही रहीं. प्रधानमंत्री केरल को भी साधकर चल रहे हैं.
बीजेपी ने मिशन केरल पर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर, विदेश राज्य मंत्री वी मुरली धरण और सुरेश गोपी को उतार दिया है. बीजेपी केरल की 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. अगर आंकड़ों पर गौर करें तो अभी बीजेपी दक्षिण में बहुत कमजोर है. 2024 का चुनाव कैसा होगा, यह देखने वाली बात होगी.
दक्षिण साधने के लिए बीजेपी ने नए संसद भवन के उद्घाटन पर सेंगोल संस्कार तक कराया था. वाराणसी में तमिल संमागम हुआ था. बीजेपी तमिलनाडु की 29 सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है. बीजेपी ने यहां एक-दो नहीं बल्कि 6 अलग-अलग दलों से गठबंधन किया है.
कर्नाटक में बीजेपी का दबदबा था. बीजेपी यह राज्य गंवा चुकी है. पिछली बार बीजेपी 28 सीटों में से 25 सीटें जीत गई थी लेकिन इस बार जनता दल (सेक्युलर) के साथ बीजेपी ने गठबंधन कर लिया है. 25 सीटें बीजेपी खुद लड़ रही है, वहीं 3 सीटों पर गठबंधन है.
आंध्र प्रदेश में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था. बीजेपी ने तेलगू देशम और जनसेना पार्टी के साथ गठबंधन किया है. चंद्रबाबू नायडू तो बीजेपी के पुराने सहयोगी रहे हैं, वही जनसेना के अध्यक्ष पवन कल्याण ने नई-नई सियासी पार्टी लॉन्च की है. बीजेपी इस उम्मीद में है कि कांग्रेस के नए बने गढ़ में इस बार सेंध लग जाएगी. यहां भारत राष्ट्र समिति के साथ भी बीजेपी को चुनौती मिलने वाली है. आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से तेलगू देशम पार्टी 17, बीजेपी 6 और जनसेना 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
तमिलनाडु से दक्षिण का किला साधेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मंगलवार को तमिलनाडु पहुंच रहे हैं. वे 4 दिन यहीं रहेंगे और जमकर चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगे. बीजेपी यहां कम से कम 6 सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक रही है. बीजेपी का सारा जोर, दक्षिण चेन्नई, वेल्लोर, पेरमबलूर, कोयंबटूर, नीलगिरि और विरुधनगर पर है. बीजेपी सधी हुई रणनीति से यहां पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है.
क्या दक्षिण बिगड़े तो सांभालेगा पूर्वोत्तर?
पूर्वोत्तर में बीजेपी खुद को स्थापित कर चुकी है. पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में कुल 26 लोकसभा सीटें हैं. असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, अरुणचाल प्रदेश, त्रिपुरा, सिक्किम और नगालैंड जैसे राज्यों में बीजेपी अब मजबूत स्थिति में पहुंच चुकी है. असम और त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार है. मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में एनडीए गठबंधन की सरकार है. ऐसे में बीजेपी को इन राज्यों से मदद मिल सकती है. बीजेपी ने यहां कई पार्टियों के साथ गठबंधन किया है. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पूर्वोत्तर में परचम लहराया था और गठबंधन ने कुल 18 सीटें जीत ली थीं. बीजेपी के यहां से 14 सांसद हैं. ऐसे में उम्मीद है कि बीजेपी उत्तर और दक्षिण का घाटा, पूरब से पूरा कर सकती है. दक्षिण में तो नहीं, पूरब में प्रशांत किशोर का दावा सच हो सकता है.