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2019 में थे साथ पर 2024 में देंगे एक-दूसरे को टक्कर, हिंगोली की सीट पर दिखेगा हाई-वोल्टेज ड्रामा

Lok Sabha Election: हिंगोली लोकसभा सीट पर इस बार बड़ा ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सीट पर कोहालिकर और आष्टीकर के बीच सीधी लड़ाई देखी जा रही है.

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Edited By: India Daily Live
Lok Sabha Election

Lok Sabha Election: महाराष्ट्र की हिंगोली लोकसभा सीट पर इस बार के चुनाव में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. इस सीट पर इस बार दो ऐसे उम्मीदवार आमने-सामने नजर आने वाले हैं जो कभी एक-दूसरे के साथ हुआ करते थे. हिंगोली लोकसभा क्षेत्र में अविभाजित शिवसेना के दो खेमों के दो चेहरों के बीच सीधी लड़ाई देखने की संभावना है.

सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के बाबुराव कदम कोहालिकर और शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व विधायक नागेश पाटिल आष्टिकर का 2019 के विधानसभा चुनावों में आमना-सामना हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई. शिवसेना ने पहले इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए मौजूदा सांसद हेमंत पाटिल का नाम फिर से नामांकित किया था. हालांकि,  बीजेपी की स्थानीय इकाई की ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद शिंदे ने कोहालिकर को टिकट दिया, जो पड़ोसी नांदेड़ जिले में पार्टी इकाई का नेतृत्व कर रहे हैं.

बाबुराव कदम कोहालिकर ने नांदेड़ जिले के हदगांव से 2014 और 2019 का विधानसभा चुनाव असफल रूप से लड़ा था. विधानसभा चुनाव 2019 के कांग्रेस उम्मीदवार माधवराव जावलगांवकर ने उन्हें करारी शिक्सत दी थी लेकिन उन्हें शिवसेना उम्मीदवार और तत्कालीन मौजूदा विधायक नागेश पाटिल अष्टिकर से अधिक वोट मिले थे. 

शिंदे के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई 

हिंगोली लोकसभा सीट की लड़ाई शिंदे के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है, खासकर उम्मीदवार बदलने पर शर्मिंदगी का सामना करने के बाद. स्थानीय सहकारी क्षेत्र पर प्रभाव रखने वाले अष्टिकर ने 2014-19 में शिवसेना विधायक के रूप में हदगांव विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इसके बाद पार्टी में हुई टूट के बाद वह ठाकरे के प्रति वफादार रहे और उन्हें नांदेड़ का जिला अध्यक्ष बनाया गया

आष्टीकर की बढ़ी मुश्किलें

वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) ने आष्टीकर के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली पार्टी ने बंजारा समुदाय के नेता डी बी चव्हाण को मैदान में उतारा है, जो पहले सेना (यूबीटी) के साथ थे और उन्हें हिंगोली संसदीय क्षेत्र के लिए एक आयोजक के रूप में भी नियुक्त किया गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के टिकट पर नजर रखते हुए फरवरी में वे वीबीए में चले गए.