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'दोस्तों' ने दिया दगा, 'अपनों' ने निभाया साथ, EVM को नहीं, अब किसे हार का गुनहगार मान रहीं मायावती?

लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रतिक्रिया दी है. मायावती ने एक लंबे लेटर में हार पर नाराजगी जताई है. साथ ही समीक्षा और सुधार करने की जरुरतों पर जोर दिया.

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लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बीएसपी को करारी हार मिली है. पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती का पहला रिएक्शन आया है. मायावती ने सोशल मीडिया पर पत्र के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसमें उन्होंने खास तौर पर मुस्लिम समाज को लेकर नाराजगी जताई है. अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि मुस्लिम समाज बसपा का खास अंग रहा है, लेकिन पिछले कुछ चुनाव से सही प्रतिनिधित्व देने के बाद भी बसपा को ठीक नहीं समझ पा रहा. अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझ कर ही चुनाव में पार्टी द्वारा मौका दिया जाएगा. 

चुवान नतीजों के अगले दिन मायावती ने कहा कि इस हमें इस बार की समीक्षा और सुधार करने की जरुरत है. मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव का जैसा भी नतीजा आया है यह लोगों के सामने है और अब देश के लोकतंत्र, संविधान और देशहित के बारे में उन्‍हें ही सोचना और फैसला करना है. यह जो चुनाव परिणाम आया है उसका आगे उन सबके जीवन पर क्‍या असर पड़ने वाला है और उनका अपना भविष्‍य कितना शांत, समृद्ध और सुरक्षित रह पाएगा? 

जरुरी कदम होंगे उठाए जाएंगे

उन्‍होंने कहा कि इस चुनाव में यूपी की ओर देश की निगाहें टिकी हुई थीं. यहां भी जो परिणाम आया है बीएसपी उसका गंभीरता से हर स्‍तर पर गहराई से सही विश्‍लेषण करेगी. पार्टी के हित में जो भी जरुरी कदम होंगे उठाए जाएंगे. मायावती ने आग कहा कि इस चुनाव में बीएसपी का अकेले ही, पार्टी से जुडे लोगों के बलबूते पर बेहत्तर रिजल्ट के लिए हर मुमकिन प्रयास हुआ किया गया है, जिसमें खासकर दलित वर्ग में से मेरी खुद की जाति के लोगों ने वोट देकर जो अपनी अहम् मिशनरी भूमिका निभाई है, मैं पूरे तेहदिल से आभार प्रकट करती हूं. 

खाता भी नहीं खोल पाई बीएसपी

लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने 424 सीटों पर अपना कैंडिडेट्स उतारे थे. यूपी की 79 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इस बार पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया. बसपा ने 2019 का चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा और 10 सीटों पर जीत हासिल की थी.