Faizabad Ayodhya Seat Result: उत्तर प्रदेश में भाजपा को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा, भाजपा का 370 और एनडीए के लिए अबकी बार 400 पार... वाला कैंपेन भी बुरी तरह फ्लॉप हो गया. सबसे बड़ा झटका तो भाजपा को उस वक्त लगा जब उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक फैजाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा. फैजाबाद सीट के अंतर्गत ही अयोध्या आता है, जहां इसी साल जनवरी में नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की थी. भव्य राम मंदिर का उद्घाटन किया था. कुल मिलाकर 'मोदी मैजिक' पूरी तरह से बेअसर रहा.
माना जा रहा था कि इस सीट पर भाजपा को बंपर जीत मिलेगी, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट.भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह को 54 हजार से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा. यही नहीं, उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 43 पर हार का भी सामना करना पड़ा. NDA गठबंधन को मात्र 36 सीटों पर जीत हासिल हुई.
फैजाबाद सीट पर NDA को मिली हार से ज्यादा चर्चा वहां से जीत दर्ज करने वाले INDIA गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की है. सोशल मीडिया पर ये चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर कैसे INDIA गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने NDA प्रत्याशी को पटखनी दे दी. वो भी उस फैजाबाद में जिसके अंतर्गत हिंदुत्व की राजधानी माना जाने वाला अयोध्या शहर आता है. ये वही अयोध्या शहर है, जहां भाजपा ने राम मंदिर उद्घाटन का श्रेय लिया था और एयरपोर्ट, सड़क समेत अन्य विकास का दावा किया था.
आइए, समझते हैं कि आखिर कैसे समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव की स्ट्रैटर्जी की बदौलत INDIA गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. इस जीत और NDA की हार की चर्चा कुछ महीनों तक चर्चा में रहने वाली है.
जातीय समीकरण में NDA पर भारी पड़े अखिलेश
राजनीति के जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव ने जातीय समीकरण की वजह से इस सीट पर अवधेश प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया था. फैजाबाद में पासी बिरादरी सबसे बड़ी दलित आबादी है. इस बिरादरी के सबसे बड़े नेता अवधेश प्रसाद माने जाते हैं.
सबसे बड़ी पासी बिरादरी में इनकी पैठ ऐसी है कि ये 9 बार विधायक चुने गए और विधानसभा पहुंचकर मंत्री भी बने. कहा जा रहा है कि जब अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव ने INDIA गठबंधन का प्रत्याशी बनाया, तो एक नारा चला कि 'अयोध्या में न मथुरा न काशी... सिर्फ अवधेश पासी'. इस नारे ने अवधेश प्रसाद के लिए काफी काम किया.
जातीय समीकरण के अलावा, फैजाबाद से तीसरी बार NDA के उम्मीदवार बनाए गए लल्लू सिंह का बड़बोलापन उनके साथ-साथ एनडीए को भी ले डूबा. ये वही लल्लू सिंह हैं, जिन्होंने कहा था कि भाजपा और NDA को 400 से अधिक सीटें इसलिए चाहिए, ताकि संविधान में बदलाव किया जा सके.
कहा जा रहा है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के दौरान सरकार ने जमीन अधिग्रहण किया था. इसके लिए उम्मीद से उलट मुआवजा दिया गया था. इसलिए यहां के स्थानीय लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश था.
NDA प्रत्याशी लल्लू सिंह की हार के पीछे ये भी कारण माना जा रहा है कि बसपा यहां काफी कमजोर पड़ गई थी, लिहाजा दलित और ओबीसी वोट के साथ-साथ मुस्लिम वोट एकतरफा अवधेश प्रसाद की ओर शिफ्ट हो गया.
इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने 54 हजार से अधिक वोटों से फैजाबाद लोकसभा सीट से जीत हासिल कर पहली बार संसद पहुंचे हैं.