कांग्रेस को अकेले बनानी है सरकार तो इन राज्यों में करनी होगी वापसी, समझिए क्या है 143 का गणित
Congress: इस बार 99 लोकसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी कई राज्यों में शून्य पर भी सिमट गई है. ये ऐसे राज्य हैं जहां कई दशकों तक कांग्रेस की ही सरकार रही है और धीरे-धीरे वह इन राज्यों से खत्म होती गई है.

कांग्रेस पार्टी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है. उसकी सीटें लगभग दोगुनी हो गई हैं लेकिन वह सरकार बनाने से दूर रह गई है. INDIA गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस इस 'अच्छे' प्रदर्शन के बावजूद कई बड़े राज्यों में शून्य पर सिमट गई है. पांच राज्यों की कुल 143 लोकसभा सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल हुई है. इनमें से दो राज्य ऐसे भी हैं जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से था. बाकी के तीन राज्यों में त्रिकोणीय मामला था. अगर कांग्रेस को सत्ता में वापसी अपने दम पर करनी है तो उसे इन राज्यों में अपना प्रदर्शन न सिर्फ सुधारने पर ध्यान देना होगा बल्कि इन सीटों में से कम से कम 100 सीटों पर जीत की कोशिश करनी होगी.
कांग्रेस को इस बार उत्तर प्रदेश में 6, महाराष्ट्र में 13, कर्नाटक में 9, केरल में 14, राजस्थान में 8, पंजाब में 7, तेलंगाना में 8, हरियाणा में 5, असम में 3, बिहार में 3 और झारखंड में दो सीटें मिली हैं. यानी इन 11 राज्यों से कांग्रेस को कुल 78 सीटें मिली हैं. बाकी के राज्यों से एक-एक सीटें आई हैं जिसे मिलाकर उसका कुल आंकड़ा 99 तक पहुंच पाया है. अब अगर उसे अपने दम पर सरकार बनानी हो तो उसे में इसमें 173 सीटें और जोड़नी होंगी.
कहां खाली हाथ जा रही कांग्रेस?
आंध्र प्रदेश के 69 साल के इतिहास में 35 साल तक कांग्रेस की ही सरकार है. अब हालत यह है कि कांग्रेस न तो लोकसभा में एक भी सीट आती है और न ही विधानसभा में एक भी सीट जीत पाई है. 2014 तक कांग्रेस की ही सरकार थी लेकिन लगातार तीन विधानसभा चुनावों से वह हर बार कमजोर ही होती जा रही है. आंध्र प्रदेश में चुनाव से कुछ वक्त पहले ही कांग्रेस पार्टी वाई एस राजशेखर रेड्डी की बेटी और जगन मोहन रेड्डी को लाई और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया लेकिन वह भी कोई कमाल नहीं दिखा पाईं.
ऐसे में अगर कांग्रेस को अपने दम पर वापसी करनी है और अपनी सीटों की संख्या बढ़ानी है तो उसे आंध्र प्रदेश में बहुत मेहनत करनी होगी. इस बार आंध्र प्रदेश की 25 में एक भी सीट पर कांग्रेस नहीं जीत पाई है. उसके साथ बुरा यह हुआ है कि 175 सीटों वाली विधानसभा में भी वह एक भी सीट नहीं जीत पाई.
मध्य प्रदेश में ढह गए किले
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट बचाने में कामयाब हुई थी. पिछले ही साल विधानसभा चुनाव में भी उसे झटका लगा और अब लोकसभा चुनाव में वह छिंदवाड़ा सीट भी हार गई. 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों को देखें तो हर चुनाव में कांग्रेस कमजोर होती गई है. ऐसे में केंद्र में खुद को मजबूत करने के लिए कांग्रेस को मध्य प्रदेश में नए सिरे से उठकर खड़ा होना होगा. अगर 29 लोकसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में कांग्रेस अपनी सीटें बढ़ा पाने में कामयाब हो सकती है तभी उसका फायदा हो सकेगा.
गुजरात में मुश्किल है डगर
गुजरात में कांग्रेस की आखिरी सरकार 1995 तक थी. उसके बाद से अब तक कांग्रेस विधानसभा में बीजेपी को हरा नहीं पाई है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव से गुजरात में कांग्रेस को लोकसभा सीटों पर भी जीत नहीं मिल पा रही है. इस बार बड़ी मुश्किल से वह एक सीट जीतने में कामयाब रही है. यही वजह रही कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन भी किया था लेकिन उसे अब भी जीत नसीब नहीं हुई. अगर लोकसभा में कांग्रेस को 272 का आंकड़ा छूना है तो उसे गुजरात की 26 सीटों पर जीत जरूर हासिल करनी होगी.
ओडिशा में वापसी जरूरी
ओडिशा में भी कांग्रेस इस बार 1 सीट पर सिमट गई है. आखिरी बार कांग्रेस की सरकार साल 200 तक थी. पिछले 24 सालों से नवीन पटनायक की बीजेडी यहां सरकार चला रही थी और इस बार बीजेपी ने बाजी मार ली. 21 लोकसभा सीटों वाले ओडिशा में अगर कांग्रेस को मजबूत होना है तो उसे जमीनी स्तर पर बहुत मेहनत करनी होगी. 272 के लक्ष्य के लिए उसे हर हाल में ओडिशा में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना होगा.
पश्चिम बंगाल में बहुत बड़ी है चुनौती
2009 में जब यूपीए-2 की सरकार बनी थी तब कांग्रेस को पश्चिम बंगाल की 6 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी. अब कांग्रेस एक सीट पर सिमट गई है. विधानसभा में भी उसका सफाया हो चुका है. 42 सीटों वाला पश्चिम बंगाल किसी की भी सरकार बनाने या बिगाड़ने का दम रखता है. ऐसे में अगर कांग्रेस को केंद्र की सत्ता में वापसी करनी है तो उसे अपने दम पर बंगाल जीतना होगा.
राज्य में सरकार की बात करें तो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की आखिरी सरकार 1972 से 1977 तक थी. यानी 47 साल हो चुके हैं और कांग्रेस पश्चिम बंगाल की सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है. ये राज्य स्पष्ट इशारा कर रहे हैं कि बिना यहां खुद को मजबूत किए, कांग्रेस पार्टी केंद्र की सत्ता में वापसी नहीं कर सकती है. इन पांचों राज्यों को मिलाकर कुल 143 सीटें होती हैं और मौजूदा समय में कांग्रेस के पास इसमें से सिर्फ 3 सीटें ही हैं.