Lok Sabha Elections 20204: लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है और इसके लिए अब दो सप्ताह का समय बाकी है. ऐसे में राजनीतिक दल चुनाव प्रचार की रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. राजनेता जनसंपर्क में जुट गए हैं. कांग्रेस जहां शुक्रवार को अपना घोषणा पत्र जारी करेगी, वहीं भाजपा भी घोषणा पत्र तैयार करने के लिए लगातार बैठकें कर रही है. 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस 'हाथ बदलेगा हालात' के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी है, तो बीजेपी 'अबकी बार चार सौ पार' पर भरोसा जताते हुए चुनाव लड़ रही है.
दोनों ही पार्टियां समाज के हर वर्ग और आयु के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटी हैं. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति बना रही हैं. दोनों दलों की ग्रामीण और अर्ध शहरी स्थान के वोटों पर खास नजर है. ज्यादा से ज्यादा जनसमर्थन हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग रणनीति तैयार कर रहे हैं.
चुनावी आंकड़े बताते हैं कि 2014 और 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने शहरी वोट बैंक में इजाफा करते हुए ग्रामीण इलाकों में भी अपनी पैठ बनाई है. भाजपा को इसका सीधा फायदा भी मिला है. इससे पहले ग्रामीण क्षेत्रों से कांग्रेस को अच्छा खासा समर्थन मिलता रहा था, लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों में समर्थन कम हुआ है. हालांकि अर्ध शहरी और शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस का जनसमर्थन बढ़ा है.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी 2024 के चुनाव प्रचार में हिंदी भाषी और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देगी. पार्टी ने पांच न्याय और 25 गारंटियां भी ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए दी हैं. साथ ही चुनावी घोषणा पत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं के लिए कई घोषणा शामिल हैं. चुनाव प्रचार में कांग्रेस इस बार ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस करेगी. पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि 2009 के आम चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को अच्छा खासा समर्थन हासिल किया था, लेकिन 2014 के बाद स्थिति बदली है.
आज से छह महीने पहले 2023 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव में के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) और उनकी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कांग्रेस से हार गई. चुनावी डेटा से पता चलता है कि केसीआर को शहरी क्षेत्र में ज्यादा वोट मिले लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले, जिसके चलते कांग्रेस को जीत मिली. ग्रामीण के रूप में वर्गीकृत तेलंगाना की 119 सीटों में से 80 में, कांग्रेस ने बीआरएस को हराया और 56 सीटें जीतीं, जबकि 2018 में केवल 15 सीटें ही जीत सकी थी. बीआरएस ने 2018 में 62 सीटें जीतीं, लेकिन इस बार केवल 19 सीटें ही जीत सकीं मतलब कि 43 सीटें कम. यह देखते हुए कि राज्य में 60 बहुमत का आंकड़ा है, कांग्रेस के लिए ग्रामीण जीत का पैमाना एकमात्र कारक है जो उसकी जीत का कारण बना.