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Lok Sabha Elections 2024: इसे कहते हैं बादशाहत, इन दो के आगे बीजेपी के सारे सूरमा फ्लॉप!

असली सियासी सूरमा वह है जिसके मैदान में उतरते ही लोग अपने-अपने नामांकन वापस खींच ले और निर्विरोध ही चुनाव जीत जाए. ऐसा दबदबा न नरेंद्र मोदी का दिखा, न ही बीजेपी के नंबर 2 नेता अमित शाह का. आखिर कौन हैं वे दो सूरमा, जिनके सामने विपक्षी नेताओं ने अपना नाम ही वापस ले लिया.

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Edited By: India Daily Live
Amit Shah Narendra Modi
Courtesy: Social Media

Lok Sabha Election 2024: 'एक ऐसा सूरमा था जो युद्धक्षेत्र में उतरता था और शत्रु सेना में हाहाकार मच जाती थी. लोग मैदान छोड़कर भाग जाते थे.' इतिहास की कई कहानियों में ऐसी किवदंतियां आपने सुनी होंगी. रामायण-महाभारत के किस्सों से लेकर मुगलकाल तक, ये कहानियां खूब सुनाई जाती हैं. कभी सोचा है कि यही हाल, साल 2024 के लोकसभा चुनाव के सियासी समर में हुआ. इन सूरमाओं के आगे देश के सबसे ताकतवर नेता कहे जाने वाले नरेंद्र मोदी और दूसरे सबसे ताकतवर नेता अमित शाह भी फीके पड़ गए लेकिन 2 नेता निर्विरोध जीत गए.

सिर्फ जीते ही नहीं, विरोधी उम्मीदवारों को कोई राह नहीं सूझी और वे सीधे जाकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शरणागत हो गए. गुजरात के सूरत शहर और मध्य प्रदेश के इंदौर में ऐसे ही दो सियासी सूरमा पैदा हुए हैं, जिन्होंने दिग्गज नेताओं से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है. इन्होंने कैसे से अनोखा रिकॉर्ड बनाया है, आइए जानते हैं.

सूरत के सूरमा जिन्होंने मोदी-शाह को भी छोड़ा पीछे

सूरत में भारतीय जनता पार्टी के सूरत दलाल निर्विरोध चुनाव जीत गए थे. उनके खिलाफ किसी ने नामांकन ही नहीं दाखिल किया. जिसने नामांकन दाखिल किया, उनका नामांकन खारिज हो गया. ये न बाहुबली हैं, न माफिया हैं, न ही इतने लोकप्रिय हैं कि लोग इनके सम्मान में नामांकन वापस ले लिए. दरअसल इनकी सीट पर खेला हो गया था. 

कांग्रेस ने इस लोकसभा सीट से नीलेश कुंभानी को टिकट दिया था, जिसके हस्ताक्षर में कुछ खामियां आईं, प्रस्तावकों ने नाम खींचा और नामांकन ही रद्द हो गया. हालत ये हो गई कि न वोट पड़े, न ही चुनाव प्रचार हुआ, मुकेश दलाल ने खेला कर दिया. 

मुकेश दलाल, बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. वे साल 1981 से ही बीजेपी से जुड़े रहे. वे सूरत में बीजेपी महासचिव हैं. वे सूरत नगर निगम में कई बार पार्षद और कई पदों पर चेयरमैन रह चुके हैं. वे सीआर पाटिल के करीबी हैं. उनकी कुल संपत्ति 3 करोड़ रुपये है. 

कौन है इंदौर का दिग्गज, जिसके आगे रणछोड़ बन गया विपक्ष

इंदौर में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शंकर लालवानी की जीत तय ही है. उनके खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार हैं लेकिन सब बेअसर हैं. जो सबसे कड़ी टक्कर दे सकता था, उसी कांग्रेसी उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया और बीजेपी में जा मिले. शंकर लालवानी, शिवराज सिंह चौहान के करीबी नेता हैं. वे सिंधी समाज के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. वे जनसंघ से जुड़े रहे हैं. वे बड़े व्यापारी हैं और सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं.