जनसंघ से जनता पार्टी, फिर भाजपा; 40 साल पहले 2 सीट, अब 400 का टारगेट रखने वाली BJP की कहानी
BJP Foundation Day: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए सबसे अहम साल 2014 रहा है. ये वो समय था, जब भाजपा की प्रचंड लहर थी. ये लहर 2019 में भी बरकरार रही. अब 2024 के आम चुनाव की बारी है. लहर कितनी बरकरार है, ये 4 जून को नतीजों के बाद ही साफ हो पाएगा.
BJP Foundation Day: भाजपा देश की सबसे पसंदीदा पार्टी है, जो ‘राष्ट्र प्रथम’ के मंत्र के साथ जन-जन की सेवा में जुटी है. ये बातें पीएम मोदी ने भाजपा के स्थापना दिवस पर कही. आज BJP का 45वां स्थापना दिवस है. BJP एक ऐसी राष्ट्रवादी पॉलिटिकल पार्टी है, जिसका डंका देश ही नहीं विदेशों में भी गूंज रहा है, जो भारत को एक सुदृढ़, समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए एड़ी-चोटी का दम भर रही है. इसी के चलते BJP लोकसभा चुनाव के पहले स्थापना दिवस को यादगार बना रही है. इस मौके पर पार्टी 'फिर एक बार, मोदी सरकार' के नारे के साथ देशभर के 10 लाख से ज्यादा बूथों पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रही है.
इसके अलावा पार्टी बूथ स्तर पर आयोजित इन कार्यक्रमों के जरिए लोगों खासकर लाभार्थियों से संपर्क कर उन्हें मोदी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताएगी. इसके साथ ही पार्टी देशभर में बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विपक्षी दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करा कर एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए भी तैयार है. पार्टी के सीनियर नेताओं ने हर बूथ पर लोगों को बीजेपी ज्वाइन करने का भी लक्ष्य रखा है.
जनसंघ से जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में आयोजित एक कार्यकर्ता अधिवेशन में हुई थी. अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष चुने गए थे. BJP का गठन भले ही वर्ष 1980 में हुआ हो, लेकिन इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा हुआ है. दरअसल, भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 1951 में हुई थी.
जनसंघ के गठन के 7 साल बाद जब लोकसभा चुनाव हुए तो पार्टी को मात्र 7 सीटें मिली. फिर 5 साल बाद यानी 1962 में जनसंघ ने देश की 14 सीटों पर कब्जा किया. धीरे-धीरे जनसंघ बड़ी पार्टी के रूप में आकार लेने लगी. 5 साल बाद फिर जब 1967 में लोकसभा चुनाव हुए तो पार्टी को 35 सीटें मिलीं. करीब 10 साल बाद यानी 1977 में कई पॉलिटिकल पार्टियों ने अपना विलय जनसंघ में कर दिया, जिसके बाद जनसंघ का नाम बदलकर जनता पार्टी रख दिया गया.
जनता पार्टी से ऐसे बनी भारतीय जनता पार्टी
जब जनता पार्टी का उदय हुआ, तो कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव हुए. तब जनता पार्टी ने 295 सीटें जीत ली. 1977 में जनता पार्टी ने जो सफलता का स्वाद चखा, वो ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया. पार्टी में आतंरिक कलह हुई, जिसके बाद जनता पार्टी को 1980 के आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. फिर अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने जनता पार्टी से अलग होकर 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया.
कैसे बढ़ता गया भाजपा का कारवां?
1980 में भाजपा के गठन के बाद पहली बार पार्टी ने 1984 में मात्र 2 सीटें जीती. ये वो वक्त था, जब भाजपा का चेहरा अटल बिहारी वाजपेयी हुआ करते थे. उन्हें पीछे कर 1986 में लाल कृष्ण आडवाणी को अध्यक्ष बनाया गया. 3 साल बाद यानी 1989 में जब लोकसभा चुनाव हुआ तो भाजपा ने देशभर में 83 सीटें जीत ली. बस यहां से भाजपा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
2 साल बाद यानी 1991 में आम चुनाव में 120, 1996 में 161 सीटें भाजपा को मिली. ये वो साल था, जब भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई. इसके बाद 1998 में मध्यावधि चुनाव में भाजपा ने 182 सीटें जीती. फिर 1999 में भी पार्टी ने 182 सीटों पर कब्जा जमाया.
पार्टी को डाउन फॉल का भी करना पड़ा सामना
2004 में जब आम चुनाव हुए तो भाजपा थोड़ा पीछे खिसक गई और 138 सीटों पर सिमट गई.5 साल बाद फिर 2009 में आम चुनाव हुए तो भाजपा और नीचे चली गई और मात्र 116 सीटें मिली. लेकिन अगले 5 साल बाद जब 2014 में आम चुनाव हुए तो भाजपा ने 283 सीटों पर जीत दर्ज की और अगले 5 साल बाद यानी 2019 में 303 सीट जीतकर इतिहास रच दिया. अब 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की निगाहें 370 सीटों पर है.