लोकसभा चुनाव ने नतीजों ने देश को चौंका दिया है. रुझानों में भाजपा बहुमत से दूर है. उसे 32 से ज्यादा सीटों का नुकसान दिख रहा है. 2019 में पार्टी को 303 सीटें मिली थीं. हालांकि, NDA की सरकार बनती दिख रही है. NDA को 297 और इंडिया गठबंधन को 228 सीटों पर आगे है. नतीजे आते ही बीजेपी के नेता सरकार बनाने के जुगाड़ में लग गए हैं. सहयोगी दलों को पीएम मोदी और अमित शाह के फोन जाने लगे हैं. अमित शाह ने जीतनराम मांझी और चिराग पासवान से बात की है.
सबकी नजर एक बार फिर से नीतीश कुमार पर है. इंडिया गठबंधन के शिर्ष नेताओं में रहे नीतीश कुमार ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश फिर से पलटी मार सकते हैं. उनका ट्रैक रिकॉर्ड पलटीमार का रहा है. नीतीश पहले पांच बार पलटी मार चुके हैं. बिहार में 40 सीटों में से एनडीए 34 सीटों पर आगे चल रही है. जिसमें से जनता दल यूनाइटेड 15 सीटों पर और बीजेपी 13 सीटों पर आगे है.
लोकसभा चुनवा से पहले नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. बिहार के सीएम के इस्तीफे के साथ ही राज्य में 9 अगस्त 2022 से चला आ रहा राजद के साथ महागठबंधन से इस्तीफा दे दिया है. नीतीश की इस पलटी ने महागठबंधन के साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी धड़े वाले इंडिया गठबंधन को भी बड़ा झटका दिया.
नीतीश कुमार ने 2005 में पहली बार बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. लगभग 8 साल के बाद नीतीश कुमार ने पहली बार 2013 में पाला बदला था. उस समय उन्होंने भगवा पार्टी के साथ जेडीयू के 17 साल लंबे राजनीतिक गठबंधन को खत्म करने का फैसला किया था. उस समय नीतीश ने पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का विरोध जताया था. नीतीश कुमार ने 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा. इस चुनाव के बाद नीतीश कुमार को केवल दो सीट मिली. 2015 में राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़े. इसके बाद तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने थे. इस चुनाव में राजद बड़े दल के रूप में थी.
गठबंधन में राजद के महत्व से असंतुष्ट कुमार 2016 में फिर से सुर्खियों में आए. नीतीश कुमार ने गठबंधन से संपर्क किया और तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांगा. तेजस्वी का सीबीआई की चार्जशीट में भी था. हालांकि, लालू ने इनकार कर दिया. इसके बाद नीतीश कुमार ने 2017 में फिर से पलटी मारी और बीजेपी से हाथ मिला लिया. इसके बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बने. गठबंधन के एक साल पूरे होने पर, नीतीश कुमार ने बिहार में दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर असंतोष के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर आपत्ति जताई थी. कई मतभेदों के बाद, कुमार ने अगस्त 2022 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया.
नीतीश कब क्या करेंगे इसकी अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है. हालांकि नीतीश बिहार की राजनीति में पिछले 18 साल से प्रासंगिक बने हुए हैं. लेकिन कई बार इधर उधर करने की वजहों से नीतीश की विश्वसनियता पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. कुछ दिन पहले ही तेजस्वी ने कहा कि चाचा नीतीश 4 जून के बाद पलटी मारने वाले हैं तबसे बिहार का सियासी पारा एक बार फिर से गरम हो उठा है. नीतीश दिल्ली पहुंच गए थे और पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के बाद पटना लौट गए.