झारखंड शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) की ओर से तैयार की गई इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों के कक्षा एक से 12 तक के विद्यार्थियों को अब साप्ताहिक परीक्षा की जगह मासिक आंतरिक परीक्षा देनी होगी. प्राप्त अंकों को छात्रों के अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं के अंकों में जोड़ा जाएगा, जिससे वे अगले शैक्षणिक सत्र में प्रोन्नति के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन जाएंगे.
कक्षा एक और दो के विद्यार्थियों के लिए पांच-पांच अंकों वाले मौखिक परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. कक्षा तीन से आठ तक के विद्यार्थियों के लिए प्रत्येक विषय में कुल 10 प्रश्न - एक-एक अंक के पांच प्रश्न, दो-दो अंक के दो प्रश्न, तीन-तीन अंक के एक प्रश्न और चार-चार अंक के दो प्रश्न पूछे जाएंगे. कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए बारह प्रश्न - एक-एक अंक के छह प्रश्न, दो-दो अंक के चार प्रश्न और तीन-तीन अंक के दो प्रश्न - निर्धारित किए जाएंगे.
अंतिम परीक्षा के कुल अंकों में से बीस अंक आंतरिक मूल्यांकन में प्राप्त अंकों को आवंटित किए जाएंगे. प्रत्येक विषय के लिए मासिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के औसत को अंतिम परीक्षा परिणाम में जोड़ने के लिए ध्यान में रखा जाएगा. पेपर प्रारूप में 50 प्रतिशत वस्तुनिष्ठ और 50 प्रतिशत व्यक्तिपरक प्रश्नों का संतुलित मिश्रण शामिल होगा. कक्षा 1 से 7 तक के लिए, इन मासिक परीक्षाओं के अंक उनके आंतरिक मूल्यांकन में शामिल किए जाएंगे, जबकि कक्षा 8 से 12 के लिए, बोर्ड परीक्षाओं के लिए आंतरिक मूल्यांकन के अंक झारखंड शैक्षणिक परिषद (JAC) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्धारित किए जाएंगे.
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन ने कहा, 'पारदर्शिता और उचित रिकॉर्ड रखने के लिए स्कूलों को ई विद्या वाहिनी पोर्टल पर मासिक परीक्षा रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है. शिक्षकों को छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी और नियमित समीक्षा करने के लिए कहा गया है. इन मासिक परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को प्रार्थना सभा के दौरान स्कूल स्तर पर मान्यता दी जाएगी. जिन छात्रों का प्रदर्शन औसत से कम है, उनके लिए विशेष सुधारात्मक कक्षाएं आयोजित की जाएंगी.'
जेसीईआरटी के एक अधिकारी ने कहा, 'पहले, साप्ताहिक परीक्षा आयोजित करने और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने में काफी समय लगता था. मासिक परीक्षाओं में बदलाव से बेहतर समय प्रबंधन सुनिश्चित होगा और शैक्षणिक परिणाम में सुधार होगा.'