केंद्र सरकार ने कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों के लिए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त कर दिया है. इस बदलाव के बाद अब स्कूल साल के अंत में परीक्षा पास ना करने वाले छात्रों को फेल कर सकेंगे. केंद्र सरकार के इस नए फैसले के तहत, यदि कोई छात्र कक्षा 5 या कक्षा 8 की सालाना परीक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे अतिरिक्त मार्गदर्शन और परीक्षा में बैठने का दूसरा मौका दिया जाएगा. परिणाम घोषित होने के बाद दो महीने के अंदर छात्र को पुनः परीक्षा का अवसर मिलेगा. अगर पुनः परीक्षा में भी वह प्रमोशन के मानक पूरे नहीं कर पाता, तो उसे उस कक्षा में ही रोक लिया जाएगा.
इस दौरान, शिक्षक छात्रों की मदद करेंगे और उनके माता-पिता को भी संज्ञान में लाकर सीखने में आई रुकावटों को दूर करने के लिए विशेष प्रयास करेंगे. हालांकि, इस प्रक्रिया में कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान बाहर नहीं किया जाएगा, और प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी छात्र को स्कूल से बाहर नहीं किया जा सकता.
3000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगी पॉलिसी
यह नई नीति केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, और सैनिक स्कूलों जैसे 3,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में लागू होगी. शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस नीति का उद्देश्य बच्चों के लिए एक बेहतर शैक्षिक माहौल सुनिश्चित करना है, ताकि उनकी कमजोरियों का सही समय पर इलाज किया जा सके और शिक्षा में सुधार हो सके.
राज्य सरकारों की स्थिति
2019 में अधिकारिक शिक्षा कानून (Right to Education Act) में किए गए संशोधन के बाद, कई राज्यों ने पहले ही इस नीति को समाप्त कर दिया था. अब तक 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों के लिए 'नौ डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है. हालांकि, हरियाणा और पुड्डुचेरी ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि अन्य सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस नीति को जारी रखने का निर्णय ले चुके हैं.
विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव
यह बदलाव उन विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है जो अब तक बिना परीक्षा में फेल हुए अगली कक्षा में प्रमोट हो जाते थे. हालांकि यह बदलाव उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह शिक्षकों और स्कूलों को छात्रों की कमजोरियों को पहचानने और उन्हें समय पर सुधारने का अवसर भी प्रदान करता है. इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि छात्रों को उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं रह जाए. केंद्र सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो छात्रों के लिए भविष्य में बेहतर परिणामों की उम्मीदें बढ़ाता है.