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India Daily

Reid Hoffman: 'वर्क लाइफ बैलेंस स्टार्टअप गेम नहीं है', लिंक्डइन के फाउंडर रीड हॉफमैन ने क्यों कही ये बात?

लिंक्डइन के फाउंडर 'रीड हॉफमैन' ने'वर्क लाइफ बैलेंस' के मुद्दे पर अपनी राय रखी है. उन्होंने ने कहा की, 'यदि कोई वास्तव में एक सफल कंपनी खड़ी करना चाहता है, तो उसे टीवी शो देखने या वीकेंड की छुट्टियों जैसे सुखों का त्याग करना होगा.'

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Edited By: Garima Singh
LinkedIn founder Reid Hoffman
Courtesy: x

Work life balance is not a startup game: लिंक्डइन के फाउंडर 'रीड हॉफमैन' ने 'वर्क लाइफ बैलेंस' के मुद्दे पर अपनी राय रखी है. एक पॉडकास्ट में उन्होंने स्टार्टअप शुरू करने वाले महत्वाकांक्षी उद्यमियों को कड़वी सच्चाई से रूबरू कराया. उनका मानना है कि यदि कोई वास्तव में एक सफल कंपनी खड़ी करना चाहता है, तो उसे टीवी शो देखने या वीकेंड की छुट्टियों जैसे सुखों का त्याग करना होगा. हॉफमैन ने लिंक्डइन के शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि उस समय कर्मचारियों से लंबे समय तक काम करने की अपेक्षा की जाती थी, भले ही उनके परिवार और बच्चे हों. 

‘द डायरी ऑफ ए सीईओ’ पॉडकास्ट में हॉफमैन ने कहा, "वर्क लाइफ बैलेंस' कोई स्टार्टअप गेम नहीं है. जब हमने लिंक्डइन शुरू किया तो ऐसे लोगों के साथ हायर किया था जिनके पास परिवार थे, हमने उनसे कहा कि वे घर जाएं अपने परिवार के साथ डिनर करें, उनके साथ रहें लेकिन फिर अपना लैपटॉप खोलें और काम पर लाग जाए. उन्होंने कर्मचारियों को परिवार के साथ रात का खाना खाने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इसके बाद उन्हें काम पर लौटना होगा. उनका मानना था कि स्टार्टअप की सफलता के लिए यह समर्पण जरूरी है.

स्टार्टअप में संतुलन की गलतफहमी

जब इंटरव्यूर ने सुझाव दिया कि कर्मचारियों को वर्क लाइफ बैलेंस न देना आज के समय में सख्त माना जा सकता है, तो हॉफमैन ने जवाब दिया कि ऐसा सोचने वाले लोग स्टार्टअप की वास्तविकता को नहीं समझते है. उन्होंने कहा कि स्टार्टअप चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण है और इसके लिए पूर्ण प्रतिबद्धता चाहिए. जो लोग कड़ी मेहनत से पीछे हटते हैं, उन्हें लंबे समय तक नौकरी में टिके रहना मुश्किल हो सकता है. हॉफमैन ने आगे कहा, "ऐसा नहीं है कि हर किसी को स्टार्टअप में काम करना पड़ता है. हॉफमैन ने बताया कि लिंक्डइन के शुरुआती दिनों में एक तिहाई कर्मचारियों के बच्चे थे. ऐसे में कंपनी ने मानवीयता और कठिन परिश्रम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की. 

कब संभव है कार्य-जीवन संतुलन?

हॉफमैन के मुताबिक, स्टार्टअप में वर्क लाइफ बैलेंस केवल दो परिस्थितियों में संभव है. पहला, जब स्टार्टअप बहुत छोटा हो और उसका कोई बड़ा प्रतिस्पर्धी न हो. दूसरा, जब कंपनी बाजार में इतनी मजबूत हो जाए कि कोई उसे चुनौती न दे सके. लेकिन ज्यादातर स्टार्टअप्स को कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता  है. उन्होंने 'पेपल' का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां कर्मचारियों के लिए ऑफिस में ही रात का खाना परोसा जाता था, ताकि वे घर जाने के बजाय काम जारी रख सकें.