Union Budget 2025: आम बजट देश की सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष के लिए तैयार किया जाता है, जिसमें सरकार के खर्चे, आय, योजनाओं और अलग अलग योजनाओं के लिए आवंटन का हिसाब होता है. इसे आम भाषा में समझें तो जैसे हम अपने घर के खर्चे के लिए बजट बनाते हैं, वैसे ही सरकार भी अपनी कमाई और खर्चों का हिसाब तैयार करती है. यह वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की योजनाओं, सैलरी, पेंशन, टैक्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, और अलग अलग योजनाओं के लिए खर्च का विवरण प्रस्तुत करता है.
बजट को सबसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है और फिर राज्यसभा में पेश किया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत इसे 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा जाता है, जो सरकार के वित्तीय मामलों का लेखा-जोखा है.
आम बजट को बनाने की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनमिक अफेयर्स के पास होती है. इसमें अर्थशास्त्रियों, वित्तीय मामलों के एक्सपर्ट और दूसरे अधिकारियों का बड़ा योगदान होता है. इसके लिए विभाग अलग-अलग सरकारी विभागों से जानकारी इकट्ठा करता है ताकि यह पता चल सके कि किस विभाग को कितनी रकम चाहिए.
आम बजट तैयार करने की प्रक्रिया लगभग 6 महीने पहले से शुरू हो जाती है. यह प्रक्रिया वित्त सचिव, राजस्व सचिव, और सचिव व्यय की निगरानी में होती है. इन अधिकारियों के साथ लगातार बैठकों का दौर चलता है, जिसमें वित्त मंत्री और कभी-कभी प्रधानमंत्री भी शामिल होते हैं. इसके अलावा, योजना आयोग, आर्थिक सलाहकार परिषद, और अलग अलग चैंबरों, संस्थाओं से राय ली जाती है.
प्राइवेसी का खास ध्यान बजट का काम बहुत ही गोपनीय होता है. जैसे-जैसे बजट की तारीख करीब आती है, अधिकारियों को अपने घर जाने की अनुमति नहीं होती है और उन्हें किसी से संपर्क करने की भी अनुमति नहीं होती है. मोबाइल फोन तक रखने पर पाबंदी होती है. बजट को तैयार करने के बाद उसे वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक में सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है. यह इलाका एक उच्च सुरक्षा जोन होता है.
आम बजट पहले ब्रिटिश काल से 5 बजे पेश किया जाता था, लेकिन 1999 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में इसे सुबह 11 बजे पेश करने की परंपरा शुरू की गई. 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट को 1 फरवरी को पेश करने की नई परंपरा शुरू की, और तब से हर साल बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है.
आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आरके शणमुखम शेट्टी ने पेश किया था. इस बजट में कोई टैक्स प्रस्ताव नहीं था. बाद में, इंदिरा गांधी 1970 में पहली महिला वित्त मंत्री बनीं और उन्होंने बजट पेश किया. इस तरह से आम बजट न सिर्फ सरकार के वित्तीय निर्णयों का खाका प्रस्तुत करता है, बल्कि यह देश की आर्थिक दिशा को भी निर्धारित करता है.