आम आदमी के घरेलू बजट के लिए अच्छी खबर है. जनवरी में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 4.31 प्रतिशत पर आ गई है, जो पांच महीने का निचला स्तर है. यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों और दालों की कीमतों में आई कमी के कारण हुई है.
खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.22 प्रतिशत और जनवरी 2024 में 5.1 प्रतिशत थी, जबकि पिछली बार कम मुद्रास्फीति अगस्त 2024 में 3.65 प्रतिशत थी. एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी 2025 में ग्रामीण क्षेत्र में खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जबकि यह जनवरी में 4.64 प्रतिशत थी, जबकि पिछले महीने में 5.76 प्रतिशत थी.
आरबीआई के लक्ष्य के करीब
जनवरी की गिरावट ने दिखाया कि खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 प्रतिशत के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए अपने जनादेश के भीतर है, जिसमें इस लक्ष्य से 2 प्रतिशत ऊपर या नीचे उतार-चढ़ाव की अनुमति है.
औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती
हालांकि, भारत का औद्योगिक उत्पादन दिसंबर 2024 में घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गया, जो तीन महीने का निचला स्तर है. यह गिरावट मुख्य रूप से खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण हुई है.
विशेषज्ञों की राय
आईसीए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से घटकर पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थ हैं, जिसने आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा पिछले सप्ताह की गई सर्वसम्मत दर में कटौती को सही ठहराया. उन्होंने आगे कहा कि विकास-मुद्रास्फीति परिदृश्य बताता है कि अप्रैल या जून 2025 की बैठकों में एक और 25 बीपीएस की दर में कटौती की गुंजाइश है.