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RBI MPC Meeting: क्या होता है CRR... रेपो रेट, RBI हर तिमाही में करती है समीक्षा, क्यों आपकी बचत पर पड़ता है सीधा असर

आरबीआई का ये फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक पॉजिटिव संकेत है, क्योंकि इससे बैंकों के पास ज्यादा लिक्विडिटी होगी और वे अधिक उधारी दे सकेंगे. हालांकि, आम लोगों पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह भविष्य में होम लोन, पर्सनल लोन और अन्य बैंकिंग सेवाओं को प्रभावित कर सकता है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Reserve Bank Of India
Courtesy: X@RBI

RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को अपनी बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. जिनमें से कुछ फैसलों में रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखने के साथ-साथ कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 50 आधार अंकों (0.50%) की कटौती का था. इस कटौती के बाद CRR अब 4% पर आ गया है, जो कि अप्रैल 2022 में पॉलिसी टाइटनिंग के शुरू होने से पहले के स्तर के बराबर है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,CRR (कैश रिजर्व रेशियो) वह न्यूनतम राशि होती है, जिसे कमर्शियल बैंकों को अपनी कुल जमाराशि का एक निश्चित प्रतिशत रिजर्व के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में जमा करना होता है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि बैंकों के पास ग्राहकों की निकासी मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि हो. इसके साथ ही लिक्विडिटी को कंट्रोल किया जा सके.

जानें क्या है CRR और क्यों यह महत्वपूर्ण है?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, आरबीआई की मौद्रिक नीति के तहत, कैश रिजर्व रेशियो रेट को बदलने का उद्देश्य अर्थव्यवस्था की मनी सप्लाई को प्रभावित करना होता है. जब CRR बढ़ाया जाता है, तो बैंकों के पास उधारी देने के लिए कम पैसे होते हैं, जिससे बाजार में लिक्विडिटी कम होती है और मुद्रास्फीति को काबू में रखा जाता है. इसके उलट, जब CRR कम किया जाता है, तो बैंकों को ज्यादा उधारी देने की आजादी मिल जाती है, जिससे आर्थिक गतिविधियां और निवेश बढ़ते हैं.

आम लोगों पर CRR का क्या होगा असर

CRR में बदलाव का आम जनता पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ता. क्योंकि यह बैंकिंग सिस्टम का एक आंतरिक हिस्सा है. हालांकि, इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव ग्राहक की बैंकिंग सेवाओं पर पड़ सकता है. जब CRR कम किया जाता है, तो बैंकों के पास ज्यादा लिक्विडिटी होती है, जिससे वे ज्यादा कर्ज देने में सक्षम होते हैं. इसका मतलब है कि आम आदमी के लिए लोन मिलने की प्रक्रिया आसान हो सकती है, और आर्थिक गतिविधियां बढ़ सकती हैं.

RBI के फैसले का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा प्रभाव?

जब RBI सीआरआर घटाता है, तो इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को अधिक सक्रिय करना होता है. ये फैसले खासतौर पर धीमी आर्थिक वृद्धि के दौरान लिया जाता है, ताकि बैंकों के पास पर्याप्त धन हो और वे लोगों को ज्यादा कर्ज दे सकें. इससे निवेश को बढ़ावा मिलता है, जो अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी का कारण बनता है.

होम लोन पर क्या होगा असर

बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि, "भारत में अधिकतर होम लोन की ब्याज दरें फ्लोटिंग होती हैं. इसलिए, रेपो रेट में बदलाव न होने के कारण आपकी EMI में कोई वृद्धि नहीं होने की संभावना है. यह उन उधारकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है, जो पहले से ही अपने बजट को लेकर काफी परेशान हैं. शेट्टी का मानना है कि यह समय उन लोगों के लिए अच्छा हो सकता है, जो घर खरीदने या अपने लोन को रिफाइनेंस करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि वे बेहतर दर पर बातचीत कर सकते हैं.

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

आदिल शेट्टी ने आगे ये भी बताया कि RBI द्वारा सीआरआर में की गई यह 50 आधार अंकों की कटौती मौद्रिक नीति के नए दिशा-संकेत का प्रतीक है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हमें वैश्विक आर्थिक रुझानों को ध्यान में रखते हुए स्थिति का आकलन करना होगा, क्योंकि मुद्रास्फीति अभी भी अस्थिर बनी हुई है. शेट्टी ने RBI की मौद्रिक नीति की सराहना की है, जिसमें उन्होंने आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति को संतुलित करने की कोशिश की है.