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Budget 2025: बजट में सरसों का तेल होगा सस्ता, पुरी ऑयल मिल्स ने की PLI समर्थन की मांग

पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड की 1933 में स्थापना हुई थी. यह पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में तीन विनिर्माण संयंत्रों का परिचालन करती है. कंपनी पी मार्क सरसों तेल का उत्पादन और बिक्री करती है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Puri Oil Mills demands PLI support for mustard oil sector in budget
Courtesy: Social Media

 सरसों तेल विनिर्माता कंपनी पुरी ऑयल मिल्स ने सरकार से आगामी आम बजट में क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही कंपनी ने विकास बोर्ड की स्थापना और निर्यात बाधाओं के समाधान के माध्यम से इस क्षेत्र को समर्थन देने का आग्रह किया है.

पी मार्क मस्टर्ड ऑयल के प्रवर्तक एवं कंपनी के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि सरसों तेल देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस क्षेत्र में सरसों तेल की बढ़ती घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए विस्तार की पर्याप्त संभावनाएं हैं.

पुरी ने कहा, ‘‘ सरसों तेल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का हिस्सा है और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के जरिये सरकारी समर्थन घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने तथा निर्यात में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है.’’

भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1.2 करोड़ टन सरसों तिलहन का उत्पादन किया.

उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2024 से 2032 तक यह बाजार सालाना 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा. इसके पीछे मुख्य वजह बढ़ती खर्च योग्य आय, स्वास्थ्य लाभ और शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से बढ़ती मांग से है.

प्रबंध निदेशक पुरी ने टिकाऊ, पर्यावरण-अनुकूल/ऊर्जा-कुशल व्यवसायों के लिए दिए जा रहे ‘कार्बन क्रेडिट’ के समान आर्थिक प्रोत्साहन का भी आह्वान किया.

इसके अलावा उन्होंने अन्य एक प्रमुख सिफारिश में मलेशियाई पाम ऑयल संवर्द्धन परिषद (एमपीओपीसी) की तरह ‘सरसों तेल विकास बोर्ड’ की स्थापना की मांग की, ताकि भारतीय सरसों तेल को विश्वस्तर पर एक स्वस्थ तथा टिकाऊ विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जा सके. प्रस्तावित बोर्ड सरसों के बीज की खेती को बढ़ावा देने और मूल्यवर्धित उत्पादों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.

हालांकि, निर्यात के अवसरों में महत्वपूर्ण बाधाएं हैं क्योंकि अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने मानव उपभोग के लिए सरसों के तेल के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है.

अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने इसकी बिक्री सौन्दर्य प्रसाधन के इस्तेमाल तक ही सीमित कर दी है.

पुरी ने कहा, ‘‘ इन बाजारों में बढ़ते दक्षिण एशियाई प्रवासियों के बावजूद ये प्रतिबंध भारतीय सरसों तेल के निर्यात में बाधा डालते हैं. सरकार को इस बाधा को दूर करने और निर्यात-अनुकूल नीतियों को लागू करने के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए.’’

उन्होंने ‘इंटरनेशन ईयर ऑफ मस्टर्ड ऑयल’ घोषित करने, मिलावट के खिलाफ कदम उठाने तथा सरसों की खेती पर ध्यान केंद्रित करने की भी मांग की.

गौरतलब है कि सरसों में 40 प्रतिशत तेल होता है, जो अन्य तिलहनों की तुलना में काफी अधिक है.

नीति आयोग के 28 अगस्त, 2024 के ‘आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर खाद्य तेलों में वृद्धि को गति देने के लिए मार्ग तथा रणनीतियां’ शीर्षक वाले दस्तावेज में सुझाव दिया गया है कि सरसों तेल तथा तिलहन खाद्य तेल उत्पादन में ‘‘आत्मनिर्भरता’’ हासिल करने की इस बड़ी चुनौती का प्रमुख समाधान हो सकते हैं, जो वर्तमान में भारत सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट संसद में पेश करेंगी.

(इस खबर को इंडिया डेली लाइव की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)