90 hours work per week debate: नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने वर्क लाइफ बैलेंस की बहस पर पानी राय शेयर की है. अमिताभ कांत ने कहा कि भारत की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा का मतलब है कि वर्क लाइफ बैलेंस के बजाय कड़ी मेहनत पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कांत ने कहा कि कड़ी मेहनत न करने के बारे में बात करना "फैशन" बन गया है. उन्होंने कहा, "मैं कड़ी मेहनत में दृढ़ता से विश्वास करता हूं. भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए, चाहे वह सप्ताह में 80 घंटे हों या 90 घंटे. यदि आपकी महत्वाकांक्षा 4 ट्रिलियन डॉलर से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है, तो आप इसे मनोरंजन के माध्यम से या कुछ फिल्मी सितारों के विचारों का अनुसरण करके नहीं कर सकते."
वर्क लाइफ बैलेंस की जगह कड़ी मेहनत करें भारतीय
अमिताभ कांत ने कहा कि लोगों को गुणवत्ता से समझौता किए बिना या लागत बढ़ाए बिना समय सीमा से पहले प्रोजेक्ट पूरी करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. अमिताभ कांत के मुताबिक, वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर बहस और ये कमेंट कि भारतीयों को कड़ी मेहनत नहीं करनी चाहिए, युवाओं के लिए गलत उदाहरण पेश कर रही है.
एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन की थी 90 घंटे काम की वकालत
कांत की ये कमेंट एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के उस बयान के कुछ सप्ताह बाद दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीयों को वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए "हर हफ्ते 90 घंटे काम करने और यहां तक कि रविवार को भी अपना काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए." एस.एन. सुब्रह्मण्यन से पहले इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की वकालत की थी.
अमिताभ कांत ने फिर छेड़ दी बहस
अपने भाषण में कांत ने कोरिया और जापान जैसे देशों का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि इन देशों ने मज़बूत कार्य नीति के कारण आर्थिक सफलता हासिल की है। उन्होंने दर्शकों से अपील की कि भारत को विश्व स्तरीय अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए ऐसी ही मानसिकता विकसित करनी चाहिए।