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‘जिन लोगों ने पैसा बनाया है’, मोतीलाल ओसवाल ने बताया संपत्ति बनाने का तरीका

ओसवाल ने कहा, “जिन लोगों ने पैसा बनाया है, वे वही हैं जिन्होंने म्यूचुअल फंड या स्टॉक में लंबी अवधि के लिए निवेश किया. दुर्भाग्य से, ऐसे लोग बहुत कम हैं. ज्यादातर लोग सट्टेबाजी या अल्पकालिक ट्रेडिंग में उलझ जाते हैं, और यहीं समस्या शुरू होती है.”

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Edited By: Ritu Sharma
Motilal Oswal told the way to earn money from the share market

दलाल स्ट्रीट के चार दशकों से अधिक के अनुभवी निवेशक मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि बाजार में अस्थिरता हर दिन बढ़ रही है, लेकिन इससे उन्हें कोई चिंता नहीं है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (MOFSL) के समूह प्रबंध निदेशक और सीईओ ने ‘बीटी वुकेनॉमिक्स 2025 - उथल-पुथल में सफलता’ कार्यक्रम में दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि हाल के बाजार गिरावट के बावजूद, प्रमुख स्टॉक सूचकांकों ने पिछले एक साल में सकारात्मक रिटर्न दिया है. अपने लंबे करियर में उन्होंने कई बार बाजार को 20-25 प्रतिशत तक गिरते देखा है, वह भी बिना किसी ठोस कारण के. फिर भी, उनका मानना है कि बाजार और अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है.

अस्थिरता बढ़ेगी, लेकिन चिंता की जरूरत नहीं

‘संपत्ति निर्माण की कला’ सत्र में बिजनेस टुडे के संपादक सिद्धार्थ जराबी के साथ बातचीत में ओसवाल ने कहा कि आने वाला हर दशक पहले की तुलना में कहीं अधिक अस्थिर होगा. बाजार का स्वभाव ही उतार-चढ़ाव से भरा है. हाल की बाजार गिरावट को उन्होंने ‘समेकन’ करार दिया और कहा कि यह बाजार का एक छोटा सा ठहराव मात्र है. उन्होंने अगले कुछ वर्षों में भारतीय कंपनियों के लिए 10-15 प्रतिशत की आय वृद्धि की उम्मीद जताई.

आय में कमी से आई सुस्ती
ओसवाल ने हाल की बाजार सुधार की एक बड़ी वजह बताई - हाल के दिनों में आय में कमी. उन्होंने बताया कि 2020 से 2024 के बीच निफ्टी की आय में 26 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि वृद्धि हुई थी, जो अब घटकर 4-5 प्रतिशत रह गई है. उनका मानना है कि यह सुस्ती बाजार के व्यवहार को प्रभावित कर रही है.

600 से 77,000 तक का सफर
अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए ओसवाल ने बताया कि जब उन्होंने अपना ब्रोकिंग व्यवसाय शुरू किया था, तब सेंसेक्स 600 अंक पर था. आज, 37 साल बाद यह 77,000 के स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि बाजार इतना बड़ा हो जाएगा. उस समय बाजार का आकार बहुत छोटा था. 600 से 86,000 तक की यह यात्रा बाजार के विशाल अवसरों को दर्शाती है.”

छोटे निवेशक: सट्टेबाज या निवेशक?
क्या तकनीक के सामने छोटे निवेशक जीत सकते हैं? इस सवाल पर ओसवाल ने कहा कि पहले यह समझना जरूरी है कि छोटा निवेशक बाजार में निवेशक है या सट्टेबाज. उनके मुताबिक, बाजार में अलग-अलग जरूरतों वाले लोग आते हैं. उनकी ब्रोकरेज के लिए यह समझना जरूरी है कि छोटे निवेशकों का प्रोफाइल क्या है. डेटा विश्लेषण से पता चला कि ज्यादातर नए निवेशक या तो आईपीओ बाजार में आते हैं या सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए. पिछले पांच सालों में डीमैट खातों की संख्या चार गुना बढ़ी है, जो बाजार की बढ़ती लोकप्रियता, वित्तीय बचत, तकनीकी प्रगति और गतिशीलता का नतीजा है.

लंबी अवधि के निवेश से ही मुनाफा
ओसवाल ने कहा, “जिन लोगों ने पैसा बनाया है, वे वही हैं जिन्होंने म्यूचुअल फंड या स्टॉक में लंबी अवधि के लिए निवेश किया. दुर्भाग्य से, ऐसे लोग बहुत कम हैं. ज्यादातर लोग सट्टेबाजी या अल्पकालिक ट्रेडिंग में उलझ जाते हैं, और यहीं समस्या शुरू होती है.” उन्होंने बताया कि लोग अब ट्रेडर ज्यादा बन गए हैं, जो आज की बड़ी चुनौती है. हालांकि, उनका मानना है कि बाजार अब परिपक्व हो रहा है और लोगों में जागरूकता व शिक्षा का स्तर बढ़ा है.

एसआईपी से आ रहा दीर्घकालिक पैसा
उन्होंने बताया कि मासिक एसआईपी के जरिए भारी मात्रा में पैसा बाजार में आ रहा है, जो दीर्घकालिक निवेश का संकेत है. पिछले चार सालों में मासिक एसआईपी निवेश 4,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये हो गया है. ओसवाल ने इसे एक स्वस्थ प्रथा बताया.

भविष्य के लिए प्रशिक्षित टीम की जरूरत
ओसवाल ने कहा कि अगले 5-10 सालों में भारत को अच्छी तरह प्रशिक्षित लोगों की एक बड़ी टीम की जरूरत होगी, जो निवेशकों को उनकी प्रोफाइल के आधार पर सही सलाह दे सके. उनकी कंपनी के उदाहरण से उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को बाजार की घटनाओं के प्रभाव को समझने में समय लगता है. पिछले पांच-छह सालों में 80 प्रतिशत निवेशक नए हैं और 75 प्रतिशत कर्मचारी भी ऐसे हैं, जिन्होंने कोविड-19 को छोड़कर कोई बड़ा संकट नहीं देखा. यह स्थिति सही मार्गदर्शन की जरूरत को और मजबूत करती है.